रांची। झारखंड के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव का कहना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है। ये बात वे पचा नहीं पाते हैं। उलझ जाते हैं। वे यह नहीं मानते हैं कि प्राइवेट स्कूलों में अच्छी पढ़ाई होती है। उनके इस बयान से शिक्षक आहत हैं। उन्होंने वित्त मंत्री को आईना दिखाया है।
शिक्षकों का कहना है कि डॉ उरांव प्राइवेट और सरकारी स्कूल की तुलना कर रहे हैं। ये कहना चाह रहे हैं कि प्राइवेट स्कूल में बेहतर पढ़ाई होती है। हालांकि वे यह नहीं बताते कि प्राइवेट और सरकारी स्कूल के रिसोर्स में क्या अंतर है। कम से कम दोनों स्कूलों के शिक्षकों की संख्या कैसी होती है, ये बताएं।
शिक्षकों का कहना है कि बार-बार निर्देश के बाद भी सभी को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जा रहा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की थी कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जाएगा। इसके कुछ दिनों के बाद ही शिक्षकों को मतदाता पुनरीक्षण कार्य में लगाने का आदेश जारी कर दिया गया है।
कई स्कूलों में विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षक नहीं है। सुविधा की कमी को लेकर ही चतरा के प्रतापपुर प्रखंड के कौरा स्थित राजकीयकृत +2 उच्च विद्यालय में नवनिर्मित भवन का उद्घाटन करने गए श्रम मंत्री को विद्यार्थियों ने स्थिति बताई। यहां तक कह दिया कि हमलोगों का भविष्य बर्बाद नहीं करें।
इस स्कूल में क्लास 1 से 12वीं तक तक लगभग 11 सौ विद्यार्थी पढ़ते हैं। उन्हें पढ़ाने के लिए मात्र 4 शिक्षक यहां हैं। विद्यार्थियों ने मंत्री, डीसी, डीईओ से यहां तक कहा कि आपके बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते होंगे, लेकिन हमलोगों का भविष्य बर्बाद नहीं करें।
शिक्षकों के मुताबिक कई स्कूल मात्र एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है। कई जगह शिक्षक नहीं होने के कारण स्कूल बंद हैं। कई स्कूलों में पर्याप्त कमरें नहीं हैं। एक ही रूम में तीन-तीन वर्ग की पढ़ाई हो रही है। कुछ जगहों पर अब तक बेंच डेस्क नहीं हैं।
इतना ही नहीं, शिक्षकों के लिए लगातार नए-नए आदेश दिए जा रहे हैं। इन आदेशों का गुणवत्तायुक्त शिक्षा से कोई सरोकार नहीं होता है। हालांकि विभाग में एनजीओ की घुसपैठ से ये हो रहा है। इससे शिक्षक परेशान नहीं हैं। वर्षों से अंतर जिला और गृह जिला स्थानांतरण की प्रक्रिया रूकी हुई है।
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