बेंगलुरु। शनिवार को ISRO (इसरो) ने चंद्रयान-3 को लेकर बड़ा अपडेट दिया है। इसरो ने ‘प्रज्ञान रोवर’ का एक वीडियो जारी किया है। वीडियो में देख सकते हैं कि प्रज्ञान रोवर चहलकदमी करता नजर आ रहा है।
इसरो ने आज सोशल मीडिया एक्स पर वीडियो जारी कहा, “चंद्रयान-3 मिशन, यहां नया क्या है? दक्षिणी ध्रुव पर चंद्र रहस्यों की खोज में प्रज्ञान रोवर शिव शक्ति प्वाइंट के आसपास घूम रहा है। वीडियो में देख सकते हैं कि रोवर विक्रम लैंडर से कुछ दूरी तक चलता है। फिर मुड़ जाता है।
जानकारी के मुताबिक, प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर एक दिन और पृथ्वी के समय के अनुसार 14 दिन तक काम करेगा। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों से मिलने के लिए यूनान की राजधानी एथेंस से शनिवार को सीधे बेंगलुरु पहुंचे।
उन्होंने घोषणा की कि चंद्रयान-3 लैंडर चंद्रमा की सतह पर जिस स्थान पर उतरा है, उसका नाम ‘शिव-शक्ति पॉइंट’ रखा जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास का ‘‘असाधारण क्षण” करार दिया और कहा कि चंद्रमा की सतह पर जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने 2019 में अपने पदचिह्न छोड़े थे, उसे ‘तिरंगा पॉइंट’ के नाम से जाना जाएगा।
उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर के चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने की याद में भारत 23 अगस्त की तारीख ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के रूप में मनाएगा। प्रधानमंत्री ‘इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क’ (आईएसटीआरएसी) में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए भावुक हो गए और उन्होंने उनके समर्पण एवं जुनून की खूब प्रशंसा की।
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने उन्हें चंद्रयान-3 मिशन के बारे में जानकारी दी। प्रधानमंत्री के अभिवादन के लिए आईएसटीआरएसी के पास स्थित जलहल्ली क्रॉस और एचएएल (हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) हवाई अड्डे के बाहर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। इनमें से कई ने हाथों में तिरंगा थाम रखा था।
चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल बुधवार शाम को जब चंद्रमा की सतह पर उतरा था, उस समय मोदी आईएसटीआरएसी के ‘मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स’ (एमओएक्स) में इसरो की टीम के साथ जोहानिसबर्ग से ऑनलाइन जुड़े थे, जहां वह ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के 15वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे थे।
इससे पहले, मोदी चंद्रयान-2 मिशन के ‘विक्रम’ लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने का साक्षी बनने के लिए छह सितंबर 2019 की रात को बेंगलुरु आए थे, लेकिन सात सितंबर को तड़के सतह पर उतरने के निर्धारित समय से चंद मिनट पहले इसरो का यान से संपर्क टूट गया था। उस समय ‘विक्रम’ चंद्रमा की सतह से मात्र 2.1 किलोमीटर ऊपर था।
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