- किसान सभा ने दी आर्थिक नाकाबंदी करने की धमकी
- भू विस्थापित 11 सितंबर को रोकेंगे कोयले का परिवहन
छत्तीसगढ़। कोरबा जिले में रोजगार और पुनर्वास से जुड़ी मांगों के लिए जारी भूविस्थापितों के आंदोलन की आंच अब एसईसीएल के बिलासपुर मुख्यालय तक पहुंच गई है। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के प्रतिनिधि अपनी समस्याओं से सीएमडी को अवगत कराने 26 अगस्त को बिलासपुर पहुंचे। वहां एसईसीएल के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें अधिकारियों से मिलने से रोकने पर स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई।
सुरक्षा कर्मियों के साथ काफी नोकझोंक के बाद भू-विस्थापितों ने सीएमडी मुख्यालय के मुख्य द्वार को बंद कर दिया। वही धरने पर बैठ गए। विरोध प्रदर्शन करते हुए जमीन के बदले रोजगार, किसानों को जमीन की वापसी, बसावट एवं अन्य मांगों को लेकर नारेबाजी करने लगे। एक घंटे तक चले प्रदर्शन के बाद प्रबंधन प्रतिनिधिमंडल से मिलने को राजी हुआ।
इस वार्ता में प्रबंधन की ओर से पी एंड आई आर महाप्रबंधक अनूप कुमार संतोषी, एल एंड आर महाप्रबंधक शरद तिवारी और अन्य अधिकारी शामिल हुए। माकपा के कोरबा जिला सचिव प्रशांत झा के साथ किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर, जय कौशिक व रोजगार एकता संघ से रेशम यादव, दामोदर श्याम, बसंत चौहान, पवन यादव शिवदयाल कंवर और बृजमोहन शामिल हुए।
प्रदर्शनकारियों ने एसईसीएल के कुसमुंडा, गेवरा, दीपका, कोरबा सहित सभी क्षेत्रों के भू-विस्थापितों के लंबित रोजगार, जमीन वापसी, पट्टा, बसावट एवं प्रभावित गांवों की मूलभुत समस्याओं की ओर अधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराया। सीएमडी द्वारा पिछली बैठक में दिए गए आश्वासन पर क्षेत्रीय महाप्रबंधकों द्वारा सकारात्मक कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। भू विस्थापितों की समस्याओं का जल्द निराकरण करने की मांग की। उन्होंने सीएमडी के नाम 11 सूत्रीय मांगपत्र भी प्रबंधन को सौंपा।
प्रबंधन ने सभी समस्याओं का जल्द निराकरण और अर्जन के बाद जन्म वाले रोजगार प्रकरणों को जल्द ही बोर्ड में रखने का आश्वासन दिया। किसान सभा प्रतिनिधिमंडल ने आश्वासन की जगह धरातल पर कार्य दिखाने पर जोर दिया। यह स्पष्ट किया कि भू-विस्थापितों की जायज मांगें पूर्ण होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। इसी सिलसिले में उन्होंने 11 सितंबर को आर्थिक नाकेबंदी करने, सड़क व रेल मार्ग से कोयला परिवहन रोकने चक्काजाम आंदोलन की धमकी दी है।