भाई के फोन ने बहन को बालिका वधू बनने से बचाया, जानें पूरा मामला

झारखंड
Spread the love

गुमला। झारखंड में बाल विवाह आज भी जारी है। कई जिलों में कम उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती है। कई बार किसी रिश्‍तेदार या लोगों की सजगता से बच्‍ची को बचाया जाता है। इसी तरह का एक मामला झारखंड के गुमला जिले से आया है। यहां भाई के फोन ने बहन को बालिका वधू बनने से बचाया।

झारखंड का एक नौजवान वीरेंद्र (बदला हुआ नाम) परिवार पालने के लिए दिल्ली में रह कर काम कर रहा था। वीरेंद्र को पता चला कि गुमला जिले के एक गांव में रहने वाले उसके मौसी-मौसा उनकी 14 साल की नाबालिग बहन का विवाह करने जा रहे हैं। वर खोज लिया गया था। मई, 2023 को शादी की रस्में होनी थी। वीरेंद्र ने अपने मौसा-मौसी को बहुत समझाया, उन्हें बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में बताया। हालांकि वे मानने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद भी वीरेंद्र ने हार नहीं मानी, क्योंकि बहन के जीवन का सवाल था।  

आखिरी समय तक कोशिश में नाकाम होने के बाद वीरेंद्र ने ऐन शादी के दिन गांव की मुखिया को फोन कर मामले की सूचना दी। अपनी बहन का बाल विवाह रुकवाने का अनुरोध किया। उसने मुखिया से अपना नाम गुप्त रखने का अनुरोध किया, क्योंकि वह खुद लड़की का रिश्ते में भाई है।

सूचना मिलते ही मुखिया खुद मौके पर पहुंची तो पाया कि खबर बिलकुल सही थी। उन्होंने बाल विवाह और बाल मजदूरी के खिलाफ काम कर रहे एक गैर सरकारी संगठन को मामले की सूचना दी। उस संगठन ने तुरंत मामले की जानकारी बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) को दी, जिन्होंने तुरंत धावा दल के साथ गांव जाकर बाल विवाह रुकवाया।

वीरेंद्र की कोशिशें रंग लाईं। उसकी बहन का जीवन बच गया। हालांकि यह बदलाव रातोंरात नहीं हुआ है। इसके पीछे सरकारी प्रयासों और जमीन पर काम कर रहे सैकड़ों गैर सरकारी संगठनों के प्रयास है। उसकी वजह से आज सुदूर गांवों में आज यह जागरुकता देखने को मिल रही है।

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने ‘पढ़ने-लिखने की उम्र है-बाल विवाह एक जुर्म है’ के नारे के साथ पिछले साल 16 अक्तूबर को बाल विवाह के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा अभियान शुरू किया था। देश के 26 राज्यों के 500 जिलों के दस हजार गांवों की 70,000 से भी अधिक महिलाओं और बच्चों की अगुआई में चले इस अभियान में दो करोड़ से भी अधिक लोगों ने हिस्सेदारी की और बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली। इन प्रयासों के नतीजे मिलने शुरू हो गए हैं लेकिन अभियान अभी भी जारी है। क्योंकि हर घर को एक वीरेंद्र की जरूरत है जो अपनी बहन के लिए खड़ा हो सके।

  • खबरें और भी हैं। इसे आप अपने न्‍यूज वेब पोर्टल dainikbharat24.com पर सीधे भी जाकर पढ़ सकते हैं। नोटिफिकेशन को अलाउ कर खबरों से अपडेट रह सकते हैं। सुविधा के अनुसार खबरें पढ़ सकते हैं।
  • आपका अपना न्‍यूज वेब पोर्टल से फेसबुक, इंस्‍टाग्राम, ट्वि‍टर सहित अन्‍य सोशल मीडिया के साथ सीधे गूगल पर जाकर भी जुड़ सकते हैं। अपने सुझाव या खबरें हमें dainikbharat24@gmail.com पर भेजें।