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बिना आदेश कोयला कामगारों को मिलने वाली ये सुविधा 7 साल से बंद, एमपी ने उठाई आवाज

झारखंड
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धनबाद। प्रबंधन कोयला कामगारों की सुविधाओं में लगातार कटौती कर रहा है। कुछ सुविधाएं आदेश निकालकर बंद कर दी गई है। कुछ अघोषित तौर पर बंद है। एक सुविधा अघोषित तौर पर पिछले करीब 7 साल से बंद है। इसे लेकर सांसद पशुपति नाथ सिंह ने कोल इंडिया चेयरमैन को पत्र लिखा है। इसे फिर से चालू करने की मांग की है।

कोयला को अन्‍य की तुलना में अधिक जोखिम वाला उद्योग माना गया है। यहां के वातावरण में काम करने पर कामगारों के अधिक बीमारी पड़ने की आशंका रहती है। इसके मद्देनजर मेडिकल अनफिट की सुविधा कामगारों को दी गई है। यह 9.4.0 के प्रावधान के तहत दी गई है।

इसके तहत गंभीर रूप से बीमारी कामगारों को अनफिट करार देकर उनकी जगह उनके आश्रितों को नौकरी दी जाती है। मेडिकल बोर्ड कामगारों को अनफिट करार देता है। बीते 7 सालों से कामगारों को अनफिट करार देने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन तक नहीं हुआ है।

धनबाद के भाजपा सांसद पशुपाति नाथ सिंह ने यह मामला उठाया है। उन्‍होंने कोल इंडिया चेयरमैन को पत्र लिखा है। सांसद ने लिखा है कि कोल इंडिया की विभिन्न सहायक कंपनियों में कार्यरत असाध्य रोग (लकवा, कैंसर, अंधेपन हृदय, टीवी और मानसिक संतुलन) से पीड़ित कामगारों का कोल इंडिया के एनसीडब्‍ल्‍यूए के 9.4.0 के तहत एपेक्स मेडिकल बोर्ड द्वारा मेडिकल कराने का प्रावधान है। हालांकि लगभग 7 वर्षो से उक्त प्रावधान को बंद रखा गया है, जिसके कारण उनके आश्रित नौकरी से वंचित हो रहे है।

सांसद ने लिखा है कि वर्णित तथ्यों पर आवश्यक कार्रवाई कर कोल इंडिया की विभिन्न सहायक कंपनियों को एपेक्स मेडिकल बोर्ड कराने के लिए सकारात्मक पहल करने का कष्ट करेंगे। कृत कारवाई से अवगत कराना चाहेंगे।

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