निजी मोबाइल के सरकारी उपयोग पर शिक्षक संघ खफा, सचिव से कहा-आंदोलन के लिए नहीं करें बाध्‍य

झारखंड
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रांची। ई विद्यावाहिनी, अन्य ऑनलाइन और डिजिटल कार्यों में अत्याधिक कठिनाई आ रही है। इससे शिक्षकों की परेशानियों लगातार बढ़ रही है। इससे आहत अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा सचिव को पत्र लिखा है। इसमें संसाधन उपलब्‍ध कराने की बात कही है। यह भी कहा है कि शिक्षकों को इस मामले में आंदोलन के लिए बाध्‍य नहीं किया जाए।

संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर और मुख्‍य प्रदेश प्रवक्‍ता नसीम अहमद ने सचिव का ध्‍यान ई विद्यावाहिनी एवं विद्यालय से संबंधित ऑनलाइन / डिजिटल कार्यों में तकनीकी, व्यवस्थाजनित और अन्य कारणों से आ रही परेशानियों की ओर आकृष्ट कराया है। राज्य सरकार द्वारा अन्य विभाग / कर्मियों के लिए स्थापित नियम व सिद्धांतों के आलोक में विद्यालयों में उपलब्ध साधनों की स्थिति की समीक्षा करने की मांग की है।

प्रवक्‍ता ने कहा है कि डिवाइस एवं तत्संबंधित मासिक व्यय राशि उपलब्ध कराने की दिशा में स्वस्थ एवं सहयोगात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में शिक्षकों को किसी आंदोलनात्मक /असहयोगात्मक कदम बढ़ने की बाध्यता उत्पन्न नहीं हो।

ये है परेशानी

विद्यालयों में चार वर्ष पूर्व उपलब्ध कराए गए टैब्स में से कई खराब हो चुके हैं। इस परिस्थिति में विभागीय दवाब के कारण शिक्षकों को अपने नि‍जी मोबाईल से उपस्थिति दर्ज करने को बाध्य किया गया है। मानसिक दबाव में शिक्षकों को अपने व्यक्तिगत खर्च पर इंटरनेट की व्यवस्था करने को बाध्य किया गया गया है। नि‍जी मोबाईल से उपस्थिति दर्ज करने के क्रम में मंत्रा स्वौनर डिवाइस मोबाईल के कई version में Attach नहीं हो पाता है। शिक्षक परेशान रहते हैं।

ई विद्यावाहिनी के नए version में तकनीकी रूप से कई खामियां / कमियां हैं। उपस्थिति दर्ज करने एवं उसे sync करने में काफी परेशानी आती है। लंबे समय तक बार-बार प्रयास करने के बाद उपस्थिति दर्ज हो पाती है। कई बार तो उपस्थिति दर्ज हो भी नहीं पाती है। इसके कारण कार्यालय से वेतन बंद कर देने की बात कही जाती है।

नि‍जी मोबाईल से ऑनलाइन रिपोर्टिंग या कई प्रकार के एप्स इन्स्टाल करने से मोबाईल में स्‍पेश की समस्या उत्पन्न होती है। पारिवारिक मोबाईल का पारिवारिक उपयोग होना भी लाजिमी है। अलग-अलग शिक्षकों के पास अलग-अलग GB का मोबाईल होता है, जिसमें सभी विभागीय एप्स को इन्स्टॉल करना संभव नहीं होता। दूसरी तरफ जिला और प्रखंड स्तरीय कार्यालयों से वेतन बंद करने की लिखित / मौखिक बात कहकर बार-बार मानसिक दवाव बनाया जाता है।

सरकार के सभी कार्यालय/विभागों में कार्यालयी कार्य के लिए सरकार की ओर से डिवाइस/सिस्टम प्रदत होता है। शिक्षकों के अतिरिक्त अन्य किसी विभाग / कर्मी को अपने व्यक्तिगत खर्च पर नि‍जी सिस्टम / मोबाईल से कार्य करने की परंपरा / व्यवस्था नहीं होती है। उक्त के क्रम में विशेषरूप से दुखद पहलु यह है कि अपने व्यय और अपने मोबाईल से कार्य कर विभाग को सहयोग करने के बाद भी शिक्षको को इन्हीं कार्यों के नाम पर अवांछित रूप से वेतन बंद और कार्रवाई की जाती है, जो काफी व्यथित करने वाली स्थिति को स्थान देती है।

संघ ने दिए ये सुझाव

विद्यालयों को नए सिरे से टैब या अन्य उपयुक्त सिस्टम (प्रिंटर सहित) उपलब्ध कराया जाना अपेक्षित होगा, जिससे ई विद्यावाहिनी संबंधित कार्य और अन्य डिजिटल कार्य / रिपोर्टिंग कार्य संपादित किया जा सके। शिक्षकों को नि‍जी मोबाईल का विभागीय उपयोग करने की असहज स्थिति से निजात मिल सके।

इंटरनेट व्यय के लिए मासिक व्यय की राशि विद्यालयों को उपलब्ध कराया जाना आवश्यक विषय के रूप में संज्ञानित किया जाना अपेक्षित होगा। प्रतिकूल परिस्थिति में संभावित सामूहिक निर्णय-विद्यालयों को विभाग / सरकार की ओर से सिस्टम / डिवाइस उपलब्ध नहीं होने एवं मासिक व्यय होने वाली राशि की अनुपलब्धता की स्थिति में शिक्षकगण स्वयं से सभी विभागीय व्हाट्सएप ग्रुप से खुद को अलग करने को वाध्य हो सकते हैं।

नि‍जी मोबाईल से ई विद्यावाहिनी से उपस्थिति व अन्य कार्य नहीं करने की ओर अग्रसर होना वाध्यकारी हो सकता है। साथ ही नि‍जी मोबाईल और नि‍जी व्यय से ऑनलाइन रिपोर्टिंग से दूर रहने की स्थिति हो सकती है।