नई दिल्ली। कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते के खिलाफ अफसर हाई कोर्ट चले गए हैं। इसपर रोक लगाने की याचिका दायर की है। इसपर 3 जुलाई को सुनवाई होनी है। इस बीच अफसरों के इस रवैये से कामगारों में एकजुटता की कवायद शुरू हो गई है। अफसरों की तरह सुविधाएं की मांग उठने लगी है।
राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता-11 पर रोक लगाने के लिये कोल इंडिया के अधिकारियों के एक वर्ग ने जबलपुर मध्यप्रदेश और बिलासपुर छत्तीसगढ़ के हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनका कहना है कि इसे लागू करने में डीपीई का पालन नहीं किया गया है। इस मामले में 3 जुलाई को बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है।
कामगारों का कहना है कि अधिकारी वर्ग ने 11वें वेतन समझौते के विरुद्ध कोर्ट में केस कर दिया है। इसे देखते हुए पूरे कोल इंडिया के सभी कामगारों को एक हो जाना चाहिए। कामगारों का कहना है कि अब अधिकारियों के समान सुख सुविधाएं बहाल करने के लिए कोर्ट का सहारा लेना चाहिए।
जानकारी हो कि कामगार और अफसरों की सुख-सुविधा में काफी अंतर है। अफसरों को एक साल में 30 ईएल और 20 दिन हाफ पीएल मिलता है। कामगारों को 20 दिन काम करने पर 1 ईएल मिलता है। कामगारों को 26 दिन का वेतन मिलता है, जबकि अफसरों को 30 दिन का मिलता है। पर्क्स 35% मिलता है।
कामगारों के अनुसार अफसरों को साल में 60 दिन ईएल इंकेशमेंट, 300 दिन तक ईएल जमा करने, लैपटॉप, हाफ पीएल के इनकैश की सुविधा भी है। पिता बनने पर अफसरों को 15 दिनों की छुट्टी दी जाती है।
कामगारों के अनुसार अधिकारियों की पीआरपी और वीडीए भी मिले। रिटायरमेंट के बाद 25 लाख रुपये मेडिकल सुविधाएं मिले। अफसरों की तरह पेंशन की सुविधा दी जानी चाहिए।
कामगारों का कहना है कि पिछले दिनों अफसरों ने कई ऐसी सुविधाओं की मांग प्रबंधन से की थी, जो अब तक सिर्फ उन्हें ही मिलता है। इसमें लाइव रोस्टर में नाबालिग बच्चों का नाम करना भी शामिल है।