अब ISI मार्का झंडा ही फहरा सकेंगे आप, गृह मंत्रालय ने जारी किया आदेश

नई दिल्ली देश
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नई दिल्ली। 15 अगस्त आने वाला है। ऐसे में ये खबर हर भारतीय के लिए बेहद काम की है। जरूर पढ़ें…भारत के स्वाधीनता दिवस पर इस बार लाल किले की प्राचीर पर फहराया जाने वाला राष्ट्रीय ध्वज शाहजंहापुर की आयुध वस्त्र फैक्टरी में तैयार किया जाएगा। इस रेशमी ध्वज को झंडा संहिता के अनुरूप बनाया जाएगा।

वहीं देशभर में सार्वजनिक और सरकारी विभागों के लिए राष्ट्रीय ध्वज तैयार कर आपूर्ति करने का जिम्मा ग्वालियर समेत चार खादी संस्थानों का रहेगा। गृह मंत्रालय के आदेश पर भारतीय झंडा संहिता 2002 में संशोधन किया गया है।

संशोधन आदेश के तहत भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काटे गए और हाथ से बुने या मशीन से बने, कपास/पॉलिएस्टर/ ऊन/रेशम/खादी बंटिंग से ही बना होना चाहिए। इसकी गाइडलाइन के हिसाब से अब सभी अवसरों पर आधिकारिक प्रदर्शन के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) के अनुसार मानक चिह्न वाले ध्वज का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा।

ये संस्था झंडे कर रहे तैयार

● मध्य भारत खादी संघ, ग्वालियर, मध्य प्रदेश।

● कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ फेडरेशन, हुबली।

● खादी डायर्स एंड प्रिंटर्स, बोरीवली, महाराष्ट्र।

● धारवाड़ तालुक गरग क्षेत्रीय सेवा संघ, कर्नाटक।

बीआइएस का लाइसेंस सार्वजनिक व सरकारी विभागों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारतीय मानक-आई (आईएस-आई) राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण के लिए बीआइएस लाइसेंस रखने वाले कुल 4 खादी संस्थान हैं। इनमें मध्यप्रदेश का एकमात्र ग्वालियर है।

मध्य भारत खादी संघ ग्वालियर के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि हमारे यहां आइएसआइ और नॉन आइएसआइ दोनों प्रकार के झंडे बन रहे हैं। इनके साइज 2 बाय 3 फीट, 3 बाय 4 फीट और 4 बाय साढ़े 6 फीट हैं। अभी तक 13 हजार झंडे बन चुके हैं जो लगभग सवा करोड़ रुपए के हैं, जो कई जगहों पर जा भी चुके हैं।

पिछले साल 1 करोड़ 22 लाख 28 हजार रुपए के झंडे तैयार हुए थे। तिरंगे झंडे मानक के अनुरूप तैयार होते हैं। इसके लिए कई मशीनें हमारे पास हैं। कारीगर हाथ से काते गए धागे से ही तैयार करते हैं।