छोटे एवं सीमांत किसानों के उपयुक्त कृषि तकनीकी हस्तांतरण पर जोर

कृषि झारखंड
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  • कृषि विज्ञान केन्द्रों का वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का दूसरा दिन

रांची। आर्या परियोजना के अधीन छोटे एवं सीमांत किसानों के उपयुक्त कृषि तकनीकी हस्तांतरण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। केवीके द्वारा स्थानीय उपयुक्त चिन्हित कुल 150 एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) मॉडल, द्वितीयक कृषि अधीन लाभकारी कृषि तकनीकी एवं किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) को प्राथमिकता और बढ़ावा दि‍या जाना चाहिए। उक्‍त बातें पटना स्थित आईसीएआर- एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन रिसर्च इंस्टिट्यूट (अटारी) के निदेशक डॉ अंजनी कुमार ने कही। वे रामकृष्‍ण मिशन में चल रहे झारखंड और बिहार के 68 जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) की वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन बोल रहे थे।

पराली जलाने से रोक में सफलता

डॉ कुमार ने कहा कि किसानों की सबसे बड़ी समस्या फसल अवशेष (पराली) का प्रबंधन है। उन्होंने रोहतास केवीके एवं राज्य सरकार के प्रयासों से किसानों को पराली जलाने से रोकने में सफलता का जिक्र किया। कहा कि कोम्फेड कंपनी द्वारा पराली गट्ठर की खरीदने से किसानों को 7-8 हजार प्रति एकड़ अतिरिक्त लाभ मिलने लगा है।

‘भूटकी’ को चिन्हित किया

केवीके (आरके मिशन, रांची) ने नामकुम क्षेत्र में 20-25 वर्षो से खोई हुई चावल की सुगंधित किस्म ‘भूटकी’ को चिन्हित किया है। इस स्थानीय सुगन्धित किस्म का पीपीवीआरवी के अधीन पंजीयन कराया गया है। इससे ‘भूटकी’ किस्म की खेती से जुड़े 11 सौ किसान लाभान्वित हो रहे हैं। टीएसपी (दलहन एवं तेलहन) कार्यक्रम में 25 महिला के समूह को मिल मशीन मुहैया कराने से धान की परती भूमि में दलहन एवं तेलहन की खेती विस्तार में बड़ी सफलता मिल रही है।

मिलेट्स की खेती को बढ़ावा

अटारी निदेशक ने कहा कि केवीके द्वारा संचालित कृषि उपकरण से सबंधित कस्टम हायरिंग की स्थापना एक बड़ी पहल और उत्तम प्रयास है। इससे अधिक से अधिक किसानों को जोड़ा जाय, ताकि केंद्र में सुलभ कृषि यंत्रों के उपयोग कम लागत एवं कम श्रम से कृषि कार्य कर किसान को बेहतर लाभ मिल सके। उन्होंने सभी केवीके को क्षेत्र विशेष आधारित 20-25 वर्षो से खोई मिलेट्स फसल की खेती को बढ़ावा देने, 10 मिलेट्स फसल में से क्षेत्र विशेष की मिलेट को पुनर्स्थापित एवं प्रोत्साहित करने को कहा।

नैनो उर्वरक की उपयोगिता

कार्यशाला के विशेष व्याख्यान में इफको, रांची के वरीय प्रबंधक डॉ आरके वर्मा ने ‘नैनो उर्वरक की उपयोगिता’ पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि नैनो उर्वरक के उपयोग से किसानों द्वारा उर्वरकों के अंधाधुंध व्यवहार को कम किया जा सकता है। इससे किसानों के उर्वरक लागत में कमी होगी और भूमि प्रदूषण को रोका जा सकेगा।

वार्षिक प्रगति प्रदर्शन प्रतिवेदन

शनिवार को कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता निदेशक (आईसीएआर – आरसीईआर, रांची) डॉ अनूप दास ने की। इसमें एनजीओ द्वारा संचालित केवीके – रामगढ, खूंटी, कोडरमा, देवघर, गुमला, रांची, गोड्डा, बक्सर, कैमूर, नवादा, सीतामढ़ी के प्रधान सह वरीय वैज्ञानिकों ने वर्ष 2022-23 का वार्षिक प्रगति प्रदर्शन प्रतिवेदन तथा वर्ष 2023-24 की कार्ययोजना को प्रस्तुत किया। मौके पर डॉ अनूप दास ने कृषि प्रसार गतिविधियों में प्राकृतिक खेती, मोटे अनाजों की उन्नत खेती पर अधिकाधिक प्रत्यक्षण एवं प्रशिक्षण का आयोजन तथा प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने की बात कही।

प्रसार गतिविधियों पर चर्चा

दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता आईसीएआर के सहायक महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ आरके सिंह ने की। इस सत्र में बिहार के 44 कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रधान सह वरीय वैज्ञानिकों ने वर्ष 2022-23 का वार्षिक प्रगति प्रदर्शन प्रतिवेदन तथा वर्ष 2023-24 की कार्ययोजना को प्रस्तुत किया। इस दौरान सभी कृषि प्रसार गतिविधियों पर विस्तृत से चर्चा हुई। मौके पर डॉ आरके सिंह ने गतिविधियों के डाटा संग्रहण को प्राथमिकता देने, जलवायु अनुकूल कृषि उत्थान कार्यो की सफलता कहानी तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने केवीके द्वारा विकसित एवं चिन्हित तकनीकी को आत्मा तथा कृषि एवं संबद्ध विभागों के माध्यम से बढ़ावा देने एवं प्रसार गतिविधियों का समुचित डॉक्यूमेंटेशन करने की बात कही।

बिहार-झारखंड के वैज्ञानिक

कार्यशाला का संचालन अटारी (पटना) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अमरेन्द्र कुमार ने की। धन्यवाद रांची केवीके के वैज्ञानिक डॉ अजित कुमार ने किया। रांची के मोराबादी स्थित रामकृष्ण मिशन विवेकानंद एजुकेशनल एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट में आयोजित इस कार्यशाला में आरके मिशन सचिव स्वामी भावेशानंद, बीएयू निदेशक प्रसार डॉ जगरनाथ उरांव सहित बिहार एवं झारखंड के 68 कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक भी मौजूद थे।