विधायिका एवं कार्यपालिका के बीच बेहतर समन्वय जरूरी : हेमंत सोरेन

झारखंड
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  • झारखंड विधानसभा सभागार में विधि निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्यपालिका का दायित्व विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ

रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ‘विधि निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्यपालिका का दायित्व’ एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आने वाले समय में बेहतर विधानसभा के संचालन में सहायक साबित होगी। वे 10 जुलाई को झारखंड विधानसभा के सभागार में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण के शुभारंभ कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम, विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो, विधायक लम्बोदर महतो सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

व्यवस्थाएं एक दूसरे का सहयोगी बने

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश का संविधान एक ऐसा अद्भुत मिश्रण है, जहां संसदीय प्रणाली को चलाने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं को अलग-अलग अधिकार दिए गए हैं। विधायिका देश एवं राज्य के लोगों के कल्याणार्थ विधेयक पारित करने, संशोधन प्रस्ताव लाने, नियम-कानून बनाने, नीति निर्धारण सहित कई कार्य करती हैं। कार्यपालिका सरकार द्वारा लायी गई इन नियम-कानून, नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने का काम करती है। न्यायपालिका कानूनों की व्याख्या एवं न्याय देने का काम करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी संस्थाओं को समान सहयोगी के रुप में कार्य करने की जरूरत है। इन्हें एक दूसरे को साथ लेकर सही दिशा के साथ कार्य करनी चाहिए ताकि इनके द्वारा किए गए कार्यों का पूरा लाभ आम जनता को मिल सके।

बहुत लंबा अनुभव नहीं है

हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के लगभग 23 साल पूरे होने जा रहे हैं। नया राज्य होने के वजह से झारखंड विधानसभा को विधायिका का बहुत लंबा अनुभव नहीं है, लेकिन अब यह जरूरी है कि स्थायी तौर पर विधायिका और कार्यपालिका एक बेहतर समन्वय और तालमेल के साथ कार्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जनप्रतिनिधि चुनाव जीतकर आते हैं, सरकार बनाते हैं लेकिन कुछ व्यवस्थाएं स्थायी तौर पर कार्य करती हैं। इन स्थायी व्यवस्थाओं एवं संस्थाओं को राज्य में किसकी सरकार है इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि व्यवस्थाएं निरंतर ठीक से चलती रहे इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। मैं समझता हूं कि कुछ चीजें निरंतर बिना रुकावट के चलती हैं। ये व्यवस्थाएं सुचारू रूप से कैसे चलें इस निमित्त यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित है।

बेहतर समन्वय आवश्यक

मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायिका प्रणाली में हम सभी लोग विधान सभा के माध्यम से नियम बनाने से लेकर कई विधेयक पास कराने सहित कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। इन सभी नियम-कानूनों को कार्यपालिका व्यवस्था से होकर गुजरना पड़ता है। अतएव यह आवश्यक है कि विधायिका और कार्यपालिका के बीच एक बेहतर समन्वय स्थापित हो तभी सभी कार्य सुचारू एवं सुदृढ़ तरीके से पूरा हो सकेगी। जब विधायिका और कार्यपालिका के बीच समन्वय ठीक नहीं बन पाता है तब विधान सभा के अंदर कई सवाल खड़े होते हैं। आवश्यक है कि इन सभी कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए हम सभी लोग सामूहिक दायित्व का निर्वहन करें।

मूल आत्मा संविधान में निहित

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की मूल आत्मा हमारे संविधान में निहित है। जिस तेजी से विधायी व्यवस्थाओं के अंतर्गत नए कानून बनते हैं या कानूनों में संशोधन होते हैं, ऐसी परिस्थिति में विधायिका द्वारा पारित विधेयक अथवा अध्यादेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना जरूरी होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक लंबे समय अंतराल पर इन विषयों को पुनः रिवाइज करने की आवश्यकता होती है। समय के साथ कई चीजें अलग-अलग दिशा में चलने लगती हैं। जरूरी है कि इन सब चीजों पर विचार और संगोष्ठी होती रहे।

मंत्री और अध्‍यक्ष ने विचार रखें

इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम एवं झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने भी “विधि निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्यपालिका का दायित्व” विषय पर अपनी-अपनी बातें रखते हुए विषय की महत्ता एवं उपयोगिता पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के बीच बेहतर समन्वय किस प्रकार स्थापित की जा सके इस पर भी बल दिया गया।

कार्यक्रम में ये मौजूद

इस अवसर पर लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य, पीआरएस के चक्षु राय, डीजीपी झारखंड अजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्रीमती वंदना दादेल, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, झारखंड विधान सभा के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर सहित भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, झारखंड प्रशासनिक सेवा के वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।