- बीएयू में वन महोत्सव का आयोजन
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में वन महोत्सव 17 जुलाई को मनाया गया। मौके पर नव निर्मित पीजी गर्ल्स हॉस्टल में राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी, कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह एवं वरीय पदाधिकारियों ने महुआ के पौधे लगाए। मुख्य कार्यक्रम का आयोजन बहुउद्देशीय परीक्षा भवन में किया गया। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ महुआ माजी ने किया। इस अवसर पर छात्रों ने मनमोहक पारंपरिक लोक नृत्य की प्रस्तुति पेश की।
अपने संबोधन में डॉ महुआ माजी ने कहा कि झारखंड की धरती में कृषि एवं जंगल रचा बसा है। पेड़ों के कटने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। भूगर्भ जल स्तर काफी नीचे चले जाने से पानी की किल्लत होने लगी है। आज बंद पड़ी कोलियरी क्षेत्र को हरा-भरा करने की जरूरत है। वैज्ञानिकों के पास तकनीकी है। उन्नत तकनीकी के साथ राज्य के हर एक क्षेत्रों में फलदार पौधें को लगाने को बढ़ावा देना होगा। मौके पर उन्होंने वानिकी छात्रों द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन भी किया।
डॉ महुआ माजी ने कहा कि बचपन से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को आगे बढ़ते देखा है। यह विश्वविद्यालय हमारे झारखंड राज्य की धरोहर है। इस विश्वविद्यालय के योगदान से कृषि क्षेत्र में राज्य निरंतर आगे बढ़ रहा है। विवि में काफी क्षमताएं है। एशिया का पहला महाविद्यालय होने के बावजूद वानिकी छात्रों का नियोजन एक बड़ी समस्या बनी हुई है। वानिकी छात्रों के हितों की रक्षा के लिए सभी पहल की जाएगी।
महोत्सव के अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने महुआ पौधे की महत्ता पर प्रकाश डाला। विलुप्त होती महुआ प्रजाति के संरक्षण पर जोर दिया। वृहद् स्तर पर वन महोत्सव अभियान चलाने की बात कही। उन्होंने कहा कि वानिकी स्नातकों का राज्य वन सेवा में की दिशा में विशेष पहल की आवश्यकता है, ताकि राज्य में वानिकी तकनीकी मानव बल का सदुपयोग हो सके।
स्वागत भाषण में डीन वानिकी डॉ एमएस मल्लिक ने वानिकी स्नातक छात्रों की समस्यायों से अवगत कराया। वन महोत्सव के महत्त्व की जानकारी दी। संचालन छात्रा साना आयसा और धन्यवाद डॉ जे केरकेट्टा ने किया।
मौके पर डॉ सुशील प्रसाद, डॉ पीके सिंह, डॉ डीके शाही, डॉ एमके गुप्ता, डॉ एस कर्माकार, डॉ बीके अग्रवाल, डॉ एस चट्टोपाध्याय, डॉ कौशल कुमार, डॉ बसंत उरांव, डॉ पीआर उरांव, एचएन दास आदि सहित भारी संख्या में छात्र- छात्राएं मौजूद थे।