रांची। झारखंड में शिक्षा का हाल बेहाल है। राज्य के मिडिल स्कूल में हेडमास्टर के 32 सौ पद खाली हैं। महज 2 फीसदी स्कूलों में स्थाई हेडमास्टर हैं। प्रमोशन नहीं मिलने से शिक्षकों में निराश और आक्रोश व्याप्त है। प्रोन्नति की आस में हर दिन शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं। काल के गाल में समा रहे हैं।
झारखंड अलग राज्य बनने से अब तक मध्य विद्यालय में हेडमास्टर के पद पर प्रमोशन नहीं दिया गया है। वर्तमान में प्रदेश के मिडिल स्कूलों में हेडमास्टर के 3226 पद सृजित हैं। इनमें से वर्तमान में 3200 पद रिक्त हैं। सिर्फ 74 हेडमास्टर के भरोसे प्रदेश के मध्य और प्राथमिक विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं। यानी सिर्फ 2 फीसदी स्कूलों में स्थाई हेडमास्टर है और 98% स्कूल प्रभारी हेडमास्टर के भरोसे संचालित किए जा रहे हैं।
अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के अनुसार हर माह हेडमास्टर सेवानिवृत्त हो रहे हैं। हालांकि उनके स्थान पर नियुक्ति नहीं हो रही है। हेडमास्टर की नियुक्ति के बिना स्कूलों में गुणवतापूर्ण शिक्षा की बात बेईमानी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन प्रदेश के गरीब बच्चों को गुणवतापूर्ण शिक्षा बहाल की बात की दुहाई दे या शिक्षा विभाग और अधिकारी बोले। हालांकि सच तो यह है कि हेडमास्टर का पद रिक्त होने का सीधा असर स्कूलों की शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों पर पड़ रहा है।
संघ के अनुसार प्रभारी हेडमास्टर में आत्मविश्वास नहीं होता। प्रभारी हेडमास्टर को लगता है कि कुछ दिन के लिए ही बने हैं। स्थाई हेडमास्टर के आते ही पद से हटा दिए जाएंगे। राज्य गठन से अब तक प्रमोशन कार्य पूर्ण करने की दिशा में कार्य नहीं हुआ। सैकड़ों न्यायदेश कोर्ट ने दिए। इसके बाद भी प्रमोशन के प्रति शिक्षा विभाग कभी गंभीर नहीं है। हजारों शिक्षक बिना प्रोन्नति के रिटायर होते जा रहे हैं।
वर्ष, 1993 की प्रोन्नति नियमावली में स्पष्ट कहा गया है कि प्रत्येक वर्ष प्रमोशन के लिए वरीयता सूची का निर्माण दिसंबर में करना है। एक अप्रैल को प्रमोशन पद की सूची प्रकाशित कर देनी है। ग्रेड एक से आठ तक के सभी ग्रेडों में अहर्ताधारी शिक्षकों को प्रमोशन दे देना है। हालांकि राज्य के डीएसई प्रमोशन के कार्य में कभी रुचि नहीं लेते।
शिक्षा विभाग भी उक्त अधिकारियों पर कोई दबाव नहीं बनाता। झारखंड सरकार में सभी संवर्ग में समय पर प्रमोशन दिया जा रहा है। चाहे सचिवालय सहायक हो, आईएएस अधिकारी हो, पुलिस विभाग हो। हालांकि विडंबना है कि शिक्षकों को 25 वर्षों से प्रोन्नति नहीं मिली है।
संघ के झारखंड प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा की 16 जिलों में एक भी हेडमास्टर नहीं है। 8 जिलों में भी संख्या काफी कम है। रिक्त पदों पर समय रहते योग्य शिक्षकों को हेडमास्टर बनाया जाए, ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सहित शैक्षणिक व प्रशासनिक कार्य को बखूबी अंजाम दे सकें।
जिलावार हेडमास्टर के पद और कार्यरत
रांची : हेडमास्टर पद 299, कार्यरत 0
धनबाद : हेडमास्टर पद 237, कार्यरत 0
सरायकेला खरसावां : हेडमास्टर पद 100, कार्यरत 0
चतरा : हेडमास्टर पद 81, कार्यरत 0
खूंटी : हेडमास्टर पद 65, कार्यरत 0
हजारीबाग : हेडमास्टर पद 124, कार्यरत 0
रामगढ़ : हेडमास्टर पद 53, कार्यरत 0
सिमडेगा : हेडमास्टर पद 80, कार्यरत 0
लोहरदगा : हेडमास्टर पद 74, कार्यरत 0
कोडरमा : हेडमास्टर पद 53, कार्यरत 0
साहिबगंज : हेडमास्टर पद 87, कार्यरत 0
पाकुड़ : हेडमास्टर पद 81, कार्यरत 0
दुमका : हेडमास्टर पद 195, कार्यरत 3
लातेहार : हेडमास्टर पद 120, कार्यरत 6
गुमला : हेडमास्टर पद 118, कार्यरत 0
जामताड़ा : हेडमास्टर पद 103, कार्यरत 2
पूर्वी सिंहभूम : हेडमास्टर पद 195, कार्यरत 0
पश्चिमी सिंहभूम : हेडमास्टर पद 160, कार्यरत 0
देवघर : हेडमास्टर पद 167, कार्यरत 0
गढ़वा : हेडमास्टर पद 145, कार्यरत 7
पलामू : हेडमास्टर पद 222, कार्यरत 24
बोकारो : हेडमास्टर पद 116, कार्यरत 3
गिरिडीह : हेडमास्टर पद 170, कार्यरत 3
गोड्डा : हेडमास्टर पद 173, कार्यरत 26