मोर्चा ने मंत्री से कहा, पूर्व के नियमों के तहत शिक्षकों का हो गृह जिला में स्थानांतरण

झारखंड
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  • दिव्यांग शिक्षकों को ट्रांसफर पोर्टल में शामिल किया जाय
  • छात्रों के मातृभाषा में शिक्षा का अधिकार का हनन ना करें

रांची। झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर से मिला। उनसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष विकराल होती जा रही समस्याओं के समाधान के लिए पहल करने का अनुरोध किया है। पूर्व के नियमों के तहत शिक्षकों का गृह जिले में स्‍थानांतरण करने की मांग की। मंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री के संज्ञान में देने एवं इसका समाधान जल्द कराने की बात कही।

मोर्चा के संयोजक विजय बहादुर सिंह, अमीन अहमद, प्रदेश प्रवक्ता अरुण कुमार दास, मोहम्मद फखरुद्दीन, मकसूद जफर हादी एवं राकेश श्रीवास्तव शिष्‍टमंडल में शामिल थे। मोर्चा के संयोजक अमीन अहमद एवं प्रवक्ता अरुण कुमार दास ने मंत्री के समक्ष लंबित मांगों को विस्तारपूर्वक रखा। मामलों के जल्द समाधान करने का आग्रह किया।

ये समस्‍याएं रखीं

गृह जिला अथवा अंतर जिला स्थानांतरण : 5 वर्ष की लगातार सेवा पूर्ण करने वाले शिक्षकों को गृह जिला अथवा अंतर जिला स्थानांतरण करते हुए बच्चों के मातृभाषा में शिक्षा के मौलिक अधिकार (RTE 2009) के हनन होने से रोकते हुए शिक्षा में वांछित गुणवत्ता के लक्ष्य को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया जाए।

वर्तमान के स्थानांतरण पोर्टल में असाध्य रोग एवं अलग-अलग जिलों में पदस्थापित पति-पत्नी शिक्षक शिक्षिकाओं को शामिल किया गया है। इसमें दिव्‍यांग शिक्षक, जिन शिक्षको के माता-पिता अथवा आश्रित असाध्य रोग से पीड़ित और पारस्परिक स्थानांतरण को भी शामिल किया जाना चाहिए।

उत्क्रमित वेतनमान के आधार पर निर्धारित फिटमेंट टेबल को लागू करना : 1 जनवरी 2006 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों के वेतन विसंगति को दूर करते हुए छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप उत्क्रमित वेतनमान के निर्धारित फिटमेंट टेबल के आधार पर वेतन निर्धारण करने का आदेश राज्य के सचिवालय कर्मियों के समान यथाशीघ्र किया जाए।

प्रधानाध्यापक समेत सभी ग्रेडों में प्रोन्नति : राज्य में वर्षों से शिक्षकों की प्रोन्नति लंबित है। इसके कारण आज राज्य के सभी विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हो चुके हैं, जिसका प्रतिकूल प्रभाव शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है।

झारखंड प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2012 से पूर्व कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के लिए प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिन्हें बिहार राज्य शिक्षक नियुक्ति एवं स्थानांतरण नियमावली 1993 के अनुरूप वांछित योग्यता वाले सभी शिक्षकों को ग्रेड 4 अर्थात स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक के पद पर प्रोन्नत करते हुए प्रधानाध्यापक के पदों पर प्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त किया जाए।

एमएसीपी : राज्य के अन्य कर्मचारियों एवं बिहार के शिक्षकों के समान राज्य के शिक्षकों को भी एमएसीपी का लाभ देकर राज्य के शिक्षक एवं कर्मचारियों के साथ समान व्यवहार किया जाए।

शिक्षकों की सेवानिवृति उम्र 62 वर्ष की जाए : राज्य के शिक्षकों की सेवानिवृति उम्र में अब तक वृद्धि नहीं की गई है। पूर्व में राज्यकर्मियों के सेवानिवृति आयु में दो वर्ष की वृद्धि की गई है। वर्तमान में विश्वविद्यालय शिक्षकों का सेवानिवृति उम्र 65 वर्ष है। इस प्रकार शिक्षकों की भी सेवानिवृति उम्र बढ़ाकर कम से कम 62 वर्ष की जानी चाहिए, ताकि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के दिशा में अनुभवी शिक्षकों का लाभ मिलता रहे।