राज्‍यपाल के एकेडमिक एडवाइजर ने किया BAU का दौरा, दिए कई निर्देश

झारखंड
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रांची। राज्‍यपाल सह कुलाधिपति के एकेडमिक एडवाइजर डॉ ई बालागुरुसामी ने बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय (BAU) का 7 जून को दौरा किया। उन्‍हें विवि के कई विभागों का निरीक्षण किया। शिक्षण और शोध को लेकर कई निर्देश भी दिए। उनके साथ राज्यपाल के ओएसडी (जुडि‍शियल) मुकलेश चन्द्र नारायण भी थे।

शिक्षा में गुणवत्ता होनी चाहिए

एकेडमिक एडवाइजर ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में सभी शिक्षकों का नैतिक मूल्य का स्तर ऊंचा होना चाहिए। तभी छात्रों में नैतिक मूल्य का विकास होगा। छात्रों में रचनात्मकता की कला विकसित होगी। छात्रों एवं पाठ्यक्रमों की अधिक संख्या की अपेक्षा छात्रों में हैप्पीनेस का होना जरूरी है। बेहतर शिक्षण कार्य में दिल, दिमाग और ईमानदारी के साथ-साथ शिक्षा में गुणवत्ता होनी चाहिए।

विकास में कृषि क्षेत्र बैकबोन

डॉ बालागुरुसामी ने कहा कि भारत के आर्थिक विकास में कृषि का क्षेत्र बैकबोन है। किसानों एवं राज्य के विकास में राज्य कृषि विश्वविद्यालय भी बैकबोन की तरह है। कृषि शोध में विकास की वजह से ही देश खाद्यान मामले में आत्मनिर्भर है। देश के 140 करोड़ लोगों को भोजन नसीब हो रहा है, लेकिन आधुनिक कृषि क्षेत्र के बदलते परिवेश में कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षण एवं शोध कार्यक्रमों में नयी रचनात्मकता होनी चाहिए।

हर शोध कार्यक्रमों में नयापन, नया ज्ञान एवं अभिनव तकनीकी से रचनात्मकता होना जरूरी है। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय के लिए किसानों के महत्‍व को सर्वोपरि बताया। वैज्ञानिकों को अद्यतन कृषि तकनीकी को लागू करने में किसान हितों एवं प्रबंधन को आगे बढ़ाने की बात कही।

शिक्षकों एवं कर्मचारियों की कमी

इस अवसर पर कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने राज्यपाल के एकेडमिक एडवाइजर एवं ओएसडी (जुडीशियल) का अभिनंदन किया। कुलपति ने बताया कि विगत तीन वर्षों में विश्वविद्यालय के शिक्षण, शोध एवं प्रसार गतिविधियों में काफी गुणात्मक प्रगति हुई है। आईसीएआर रैंकिंग बढ़ी है। 5 वर्षों के लिए आईसीएआर से मान्यता मिली। जेपीएससी के माध्यम से राज्य कृषि सेवा में करीब 100 और राज्य पशुपालन सेवा में 42 छात्रों को नियोजन हुआ। दो हर्बल उत्पाद को पेटेंट मिला।

पहली बार आयोजित रोजगार मेला एवं उद्योग मीट से छात्रों का उत्साहवर्धन हुआ है। कृषि, वानिकी एवं पशुपालन शिक्षा की गुणवत्ता को बनाये रखने की हर संभव कोशिश हो रही है। शिक्षकों एवं कर्मचारियों की कमी से आशातीत सफलता नहीं मिली है।

उपलब्धियों से अवगत कराया

समारोह के दौरान डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएस मल्लिक ने कृषि, वानिकी एवं पशुपालन से सबंधित शिक्षण, शोध एवं प्रसार से जुड़ी उपलब्धियों से अवगत कराया। समारोह का संचालन एवं स्वागत भाषण डीएसडब्‍ल्‍यू डॉ बीके अग्रवाल और धन्यवाद डीन पीजीएस डॉ एमके गुप्ता ने किया।

प्रयोगशाला का अवलोकन किया

एकेडमिक एडवाइजर एवं ओएसडी (जुडि‍शियल) ने मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला और जैव उर्वरक उत्पादन केंद्र का अवलोकन किया। अध्यक्ष (मृदा) डॉ डीके शाही ने कृषि में जैव उर्वरक उत्पादों एवं राज्य सरकार एवं किसानों को आपूर्ति की जानकारी दी। विवि प्राध्यापक डॉ बीके अग्रवाल ने राज्य के सभी जिलों एवं 60 से अधिक प्रखंडों का सॉइल फर्टिलिटी मैप के विकास की जानकारी दी।

अनुसंधान से अवगत कराया

वानिकी संकाय स्थित नवस्थापित गिलोय प्रोसेसिंग एंड रिसर्च सेंटर में में स्थापित गिलोय प्रसंस्करण मशीन और आधुनिक प्रयोगशाला का भी अवलोकन किया। प्रधान अन्वेंषक (गिलोय) डॉ कौशल कुमार ने केंद्र में गिलोय सबंधी गतिविधियों और शोध क्षेत्र में छात्रों को लाभ की जानकारी दी। केंद्र के गिलोय उत्पादों, 16 जिलों में व्यावसायिक खेती और भावी अनुसंधान कार्यों से अवगत कराया।

सभी गतिविधियों को देखने की इच्छा

एकेडमिक एडवाइजर डॉ बालागुरुसामी ने विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों, मृदा विभाग एवं गिलोय प्रोसेसिंग एंड रिसर्च सेंटर के कार्यों को सराहा। आने वाले दिनों में विवि के दो दिनी दौरे में सभी गतिविधियों को देखने की इच्छा जताई।

मौके पर डॉ एमएस मल्लिक, डॉ सुशील प्रसाद, डॉ डीके शाही, डॉ पीके सिंह, डॉ एस कर्माकार, डॉ एमके गुप्ता, डॉ नरेंद्र कुदादा, डॉ जगरनाथ उरांव, ई डीके रूसिया, डॉ रेखा सिन्हा, डॉ एके पांडे, एचएन दास, संजय राय सहित कई वरीय विवि पदाधिकारी भी मौजूद थे।