BAU में कृषि उपज के विपणन परिदृश्य पर हुआ मंथन

कृषि झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) के कृषि संकाय सभाकक्ष में कृषि उपज के विपणन परिदृश्य पर विचार-मंथन 9 जून को किया गया। कार्यक्रम का आयोजन सीडैक की कोलकाता टीम के सहयोग से किया गया।

अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने किसानों को सही उपज मूल्य मिलने में कृषि उपज के विपणन परिदृश्य के विभिन्न मुद्दों की ज्वलंत समस्यायों के हल को जरूरी बताया। कहा कि प्रदेश में सब्जी का सरप्लस उत्पाद होता है। चावल का आयात करना पड़ता है। राज्य में कृषि विविधिकरण एवं कृषि उपज विपणन की दिशा में ब्लू प्रिंट तैयार करने एवं खेती कार्य को लाभकारी बनाने में उपज हानि की प्रतिपूर्ति के बारे में सोचना होगा।

पलामू के पूर्व आयुक्त डॉ जटाशंकर चौधरी ने बताया कि कड़ी मेहनत के बावजूद किसानों को कम और बिचौलियों को अधिक आर्थिक लाभ से किसान खेती से पलायन कर रहे हैं। यह विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले भारत देश के लिए अत्यंत चिंता का विषय है। बीएयू द्वारा किसानों के कृषि उपज के विपणन मुद्दों पर विचार-मंथन बेहद सराहनीय प्रयास है।

मौके पर भारत सरकार के राज्य प्रभारी (डीएमआई) सचिन कुणाल ने किसानों को कृषि उपज के सही मूल्य के लिए कटाई उपरांत तकनीकी पर नित्य पहल कर रहीं है। कोल्ड स्टोरेज, ड्राई स्टोरेज गोदाम आदि मुहैया से किसानों को लाभ होगा। ग्रामीण स्तर पर फार्मर्स प्रोड्यूसर आर्गेनाईजेशन को सशक्त कर विपणन की समस्यायों का आसानी से हल संभव होगा। कार्यक्रम में डॉ बीके झा ने कृषि उपज के विपणन परिदृश्य के विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला।

मौके पर डॉ सुशील प्रसाद, डॉ डीके शाही, डॉ पीके सिंह, डॉ निभा बाड़ा, डॉ मणिगोपा चक्रवर्ती, डॉ सीएस महतो, डॉ नीरज कुमार, डॉ एचसी लाल, डॉ विनय कुमार, डॉ प्रवीण कुमार, डॉ नीतू कुमारी, एस जायसवाल आदि भी मौजूद थे।

कार्यक्रम के विचार-मंथन सत्र में कृषि विकास से जुड़े हितधारकों में पूर्व आयुक्त पलामू डॉ जटाशंकर चौधरी, विशेष सचिव (कृषि) प्रदीप हजारी, निदेशक (सीडीएसी, कोलकाता) रितेश मुखर्जी, जीएम नाबार्ड गौतम कुमार सिंह, एपीडा नई दिल्ली के संदीप साहा और झारखंड चैंबर के उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा ​शामिल हुए।