- प्राध्यापकों की प्रोन्नति की विसंगति सहित अन्य समस्याओं से भी कराएगा अवगत
रांची। विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकों की गर्मी की छुट्टी में कटौती कर दी गई है। इससे प्राध्यापकों में आक्रोश है। उन्होंने कहा कि छुट्टी में कटौती को स्वीकार नहीं है। इस मामले को लेकर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) शीघ्र राज्यपाल से मिलेगा। यह निर्णय महासंघ के सभी विवि के पदधारियों की हुई ऑनलाइन बैठक में हुआ। इसकी अध्यक्षता झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने की।
विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकों की ग्रीष्मकालीन छुट्टी में कटौती को लेकर सभी ने आपत्ति जताते हुए इसका पुरजोर विरोध किया। सभी ने एकमत से कहा कि उच्च शिक्षा के प्राध्यापक को पठन-पाठन की तैयारी के साथ रिसर्च भी करना पड़ता है। कई विश्वविद्यालयों में गर्मी की छुट्टियों में परीक्षा कार्य एवं मूल्यांकन कार्य करने के लिए प्राध्यापकों को विवश किया जाता है। यह बिल्कुल गलत है।
एक तरफ केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक सप्ताह में 5 दिनों का कार्य करते हैं। वहीं राज्य के विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों को सप्ताह में 6 दिनों तक कार्य करना पड़ता है, इन विसंगतियों को दूर कर एकरूपता लाने की आवश्यकता है।
ऑनलाइन बैठक में डॉ प्रीतम कुमार, डॉ ब्रजेश कुमार, डॉ सुनीता कुमारी गुप्ता, डॉ राजकुमार चौबे, डॉ अजय कुमार सिन्हा, डॉ अंजनी शर्मा, डॉ अभय कृष्ण सिंह, डॉ सुनीता कुमारी, डॉ सविता मिश्रा, डॉ रंजीत कुमार सिंह, डॉ करुणा पंजियारा, डॉ उमेश सहाय, डॉ ज्योति प्रकाश, डॉ नंदी, डॉ दारा सिंह गुप्ता सहित 32 प्राध्यापक शामिल हुए।
सर्वसम्मति से ये निर्णय लिए गए
उच्च शिक्षा के विभिन्न विश्वविद्यालयों में ग्रीष्मावकाश को कम करने का पूरजोर विरोध करते हुए एबीआरएसएम का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से शीघ्र मिलकर इसके निराकरण की मांग करेगा।
प्रोनोत्ति की विसंगतियों को समाप्त करने की मांग की जाएगी।
पीएचडी इन्क्रीमेंट का लाभ शीघ्र देने की मांग की जाएगी। राज्यपाल को दिए जाने वाले ज्ञापन तैयार करने के लिए 6 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इसमें रांची विश्वविद्यालय से डॉ प्रीतम कुमार, डॉ ज्योति प्रकाश, डॉ ब्रजेश कुमार, डॉ सुनीता कुमारी गुप्ता एवं डीएसपीएमयू से डॉ अभय कृष्ण सिंह, डॉ धनंजय वासुदेव द्विवेदी शामिल हैं।