सुप्रीम कोर्ट ने ‘जल्लीकट्टू’ की अनुमति देने वाले तामिलनाडु सरकार के कानून को सही ठहराया

नई दिल्ली देश
Spread the love

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में खेले जाने वाले खेल ‘जल्लीकट्टू’ की अनुमति देने वाले तमिलनाडु के कानून को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017, जानवरों के दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में बैलों को काबू करने के खेल जल्लीकट्टू को अनुमति देने वाले राज्य सरकार के कानून को सही ठहराया। बैलों के साथ क्रूरता का हवाला देते हुए कानून रद्द करने की मांग की गई थी। कानून को संसद से पास पशु क्रूरता निरोधक कानून का उल्लंघन बताया गया था।

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि नए कानून में क्रूरता के पहलू का ध्यान रखा गया है। खेल सदियों से तमिलनाडु की संस्कृति का हिस्सा। इसे बाधित नहीं किया जा सकता। अगर कोई पशु से क्रूरता करे तो उस पर कार्रवाई हो।

महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ और कर्नाटक में कंबाला से जुड़े कानून को भी सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया।

तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रघुपति ने कहा कि हम कानूनी लड़ाई जीते हैं। तमिलनाडु के लोगों की यह इच्छा थी, वो जल्लीकट्टू खेल को जारी रखना चाहते थे। हमारी संस्कृति, परंपरा सब कुछ संरक्षित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक अच्छा निर्णय दिया है। हम सभी जानवरों को क्रूरता से बचाएंगे। जल्लीकट्टू में किसी भी जानवर के साथ क्रूरता नहीं होगी।