नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक्शन में हैं। अधिकारियों के स्थानांतरण-तैनाती पर नियंत्रण देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ घंटों बाद केजरीवाल ने सेवा सचिव आशीष मोरे को हटा दिया है।
दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सेवा सचिव बदलने का आदेश जारी कर दिया है। आशीष मोरे को सर्विसेज सचिव पद से हटा दिया गया है। अनिल कुमार सिंह दिल्ली के नए सेवा सचिव (Secretary Services) होंगे। सिंह 1995 बैच के IAS अधिकारी हैं। वे जल बोर्ड के सीईओ रह चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गुरुवार को आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को स्थानांतरण-पदस्थापना पर नियंत्रण देने का आदेश दिया गया है। इसके कुछ घंटों बाद ही दिल्ली सरकार ने सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे को पद से हटा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर अन्य सेवाओं के संबंध में दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा शासकीय शक्तियां हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा। उन्होंने लोक कार्यों में ‘बाधा डालने’ वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सेवा विभाग दिल्ली के उप राज्यपाल के नियंत्रण में था।
दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के मामले में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग करने के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दिल्ली सरकार की बड़ी जीत है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कानून व्यवस्था, पब्लिक आर्डर, जमीन से जुड़े मुद्दे और पुलिस पर केंद्र का अधिकार है। बाकी मुद्दों पर प्रशासनिक अधिकार दिल्ली सरकार के पास है। एलजी दिल्ली सरकार की सलाह पर सहायता के लिए बाध्य हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र द्वारा सभी विधायी शक्तियों को अपने हाथ में लेने से संघीय प्रणाली समाप्त हो जाती है। संघवाद के सिद्धांत का सम्मान किया जाना चाहिए। केंद्र सभी विधायी, नियुक्ति शक्तियों को अपने हाथ में नहीं ले सकता।
अगर चुनी हुई सरकार अधिकारियों को नियंत्रित नहीं कर सकती, तो वह लोगों के लिए सामूहिक दायित्व का निर्वाह कैसे करेगी? अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार का अधिकार है। चुनी हुई सरकार में उसी के पास प्रशासनिक व्यवस्था होनी चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार के पास यह अधिकार नहीं रहता, तो फिर जवाबदेही की ट्रिपल चेन पूरी नहीं होती।