रांची। झारखंड (Jharkhand) के सरकारी स्कूल के शिक्षकों को गर्मी छुट्टी में होम वर्क देने का संगठन ने विरोध किया है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने इसपर पुनिर्विचार करने की मांग की गई। इस संबंध में झारखंड शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान परिषद् के निदेशक को पत्र लिखा है। बहिष्कार की धमकी भी दी है।
जानकारी हो कि निदेशक ने गर्मी की छुट्टी में शिक्षकों को घर पर ही कक्षा 1 से कक्षा 7 की वार्षिक परीक्षा / योगात्मक मूल्यांकन करने और प्रगति प्रपत्र तैयार करने का आदेश दिया है। इस बाबत प्रधानाध्यापक / प्रभारी प्रधानाध्यापक अपने विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को निर्देश देने की बात कही है।
संघ के महासचिव राम मूर्ति ठाकुर ने इसका विरोध जताते हुए पत्र लिखा है है। इसमें कहा है कि यह भी निर्देशित किया गया है कि 1 जून, 2023 को विद्यालय खोला जाए। उक्त आदेशों से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। पत्र को तत्काल शिथिल करने का निवेदन किया है। इस क्रम में कई बिंदुओं उल्लेख किया है।
महासचिव ने कहा है कि प्रतिकूल/असहज परिस्थितियों के मद्देनजर 9 मई, 2023 को जारी आदेश को तत्काल शांत करने की कृपा की जाए। मूल्यांकन कार्य को पूर्व से निर्धारित शिड्यूल के अनुसार सम्पन्न कराया जाना सर्वथा उचित होगा। पुर्नविचार नहीं हो पाने की स्थिति में वर्णित तथ्य के आलोक में ग्रीष्मावकाश में मूल्यांकन कार्य से शिक्षकों के पृथक/बहिष्कारित रहने की परिस्थितिजन्य बाध्यता होगी।
इन बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट कराया
ग्रीष्मावकाश विभागीय नियमानुसार पूर्व से निर्धारित रहता है, साथ ही छात्रों की परीक्षा एवं मूल्यांकन कार्य के लिए भी पूर्व से तिथि/कैलेंडर निर्धारित है। इसके आलोक में ही समस्त गतिविधियों एवं दिन संचालित रहती हैं।
राज्य के अधिकांश जिलों में कही 15 मई या कहीं 22 मई से ग्रीष्मावकाश होना निर्धारित है। इसके प्रारंभ होने के निकट पूर्व प्रसंगाधीन निर्देश असहज प्रतीत होता है, क्योंकि इससे निम्न वर्णित प्रतिकूलताएं परिलक्षित होंगी।
पूर्व से निर्धारित अवकाश कैलेंडर के अनुसार ही शिक्षकों द्वारा ग्रीष्मावकाश का उपयोग अधिकांशतः अपने पारिवारिक जरूरतों यथा-अपना या आश्रितों के चिकित्सा कारणों से राज्य के बाहर (वेल्लोर, एम्स दिल्ली, चंडीगढ़, चेन्नई आदि) के चिकित्सीय संस्थानों से पूर्व से अपना एप्वांइटमेंट लिए रहना, पारिवारिक शादी विवाह की तिथियां निर्धारित रखना, अन्य पारिवारिक कारणों से यात्रा का कार्यक्रम निर्धारित करते हैं।
यह विशेषरूप से ध्यातव्य हो कि ग्रीष्मावकाश की अवधि के बदले शिक्षकों को अन्य राज्यकर्मियों की तुलना में कम वार्षिक अर्जितावकाश मान्य है। शिक्षकों को एक वर्ष में मात्र 14 अर्जित अवकाश मान्य है, जबकि अन्य के लिए यह 33 दिनों है। इस अल्प अर्जितावकाश के कारण शिक्षक यथासंभव ग्रीष्मावकाश को ही अपने पारिवारिक / चिकित्सीय जरूरतों को पूरा करने के निमित उपयोग करते हैं।
उक्त के मद्देनजर अधिकांश शिक्षक ग्रीष्मावकाश में अपने घर से दूर रहेंगे, जिसके कारण इस अवधि में गृह कार्य के रूप में मूल्यांकन कार्य को कर पाना संभव प्रतीत नहीं होता है।
ग्रीष्मावकाश के पूर्व से इस अवधि में यात्रा करने के लिए शिक्षक स्वयं / सपरिवार यात्रा टिकट लिए रहते हैं। तय तिथि को यात्रा नहीं करने से टिकट बुकिंग में भुगतान की गई अच्छी खासी रकम की हानि होना भी लाजिमी है, जो एक असहज परिस्थिति होगी।
पूर्व से तय यात्रा कार्यक्रमों की अवधि के बीच 1 जून 2023 को विद्यालय खोलना एवं गतिविधियों को संचालित करना भी संभव होने से परे प्रतीत होता है। शिक्षक भी पारिवारिक सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के लिए अपने पारिवारिक मुखिया की भूमिका में होते हैं। मानवीय कारणों / आधार से इसे पूर्ण करना अन्य के समान ही शिक्षकों के लिए भी आवश्यक होता है। इसके मानवीय पहलू भी अधिक विचारणीय हैं।