ईडब्ल्यूएस और ओबीसी ए आर्थिक पात्रता की जांच करे सरकार

झारखंड
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सुप्रीम कोर्ट जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार करे

जमशेदपुर। जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख ईडब्ल्यूएस (इकोनामिक वीकर सेक्शन) और ओबीसी ए की आर्थिक पात्रता की जांच का मेकैनिज्म विकसित करने की गुहार लगाई है।

अधिवक्ता कुलविंदर सिंह के अनुसार मात्र आठ लाख ₹ वार्षिक आय से कम वाले सामान्य जाति एवं अन्य पिछड़ा जाति परिवार के सदस्य ही ईडब्ल्यूएस और ओबीसी ए की पात्रता रखने के वैधानिक हकदार होते हैं।

शहरी क्षेत्रों में तथा नगरपालिका क्षेत्र में ग्राम सा 1000 वर्ग फीट तथा 900 वर्ग फीट फ्लैट के मालिक परिवार के सदस्य इसकी पात्रता अधिकृत वैधानिक रूप से रखते हैं।

यहां अधिवक्ता ने सवाल उठाया है कि कितने लोग ईमानदारी एवं सत्य निष्ठा से राजस्व विभाग को परिवार की आय की जानकारी देते हैं। समाज के कुछ स्वार्थी तत्व राजस्व विभाग को गलत तरीके से अथवा प्रभावित कर पात्रता प्रमाण पत्र ले लेते हैं।

गलत पात्रता रखने वाले यदि केंद्रीय लोकसेवा आयोग अथवा राज्य लोक सेवा आयोग अथवा अन्य भर्ती बोर्ड एवं केंद्रीय तथा राज्य के संस्थान में नामांकन प्रक्रिया में अवसर एवं लाभ ले लेते हैं, तो वह सीधी तरह से देश के संविधान कानून का मजाक है।

अधिवक्ता ने इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि उनके आवेदन को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया जाए और एमिकस क्यूरी की नियुक्ति की जाए तथा केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को प्रतिवादी बनाया जाए। जिससे एक मेकैनिज्म सिस्टम विकसित हो और पात्रता रखने वाले परिवार के सदस्य हैं भर्ती अथवा नामांकन प्रक्रिया में शामिल हो सके।

मेकैनिज्म विकसित होने तक ईडब्ल्यूएस एवं ओबीसी ए के सफल प्रतियोगियों का परिणाम रोका जाए और जांच उपरांत सही पाए जाने पर ही लाभ मिल सके। अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने इसकी प्रति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय लोकसेवा आयोग के चेयरमैन को भी भेज कर न्याय संबंधी कानूनी कार्रवाई की मांग की है।