- उनके परिजनों को सौंपा जाएगा
रांची। राज्य के बच्चे-बच्चियां ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकार नहीं हों। जो किन्ही भी वजहों से ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शिकार हो चुके हैं, उनकी पहचान कर उन्हें जल्द से जल्द रेस्क्यू कराया जाए। जो बच्चे-बच्चियां और युवक -युवतियां दूसरे राज्यों एवं बड़े शहरों से रेस्क्यू करा कर वापस लाए जाएं, उनके पुनर्वास और रोजगार की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा अधिकारियों को दिए गए इस निर्देश के सकारात्मक नतीजे लगातार सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में राज्य बाल अधिकार और संरक्षण आयोग की टीम 5 मई को बेंगलुरु से रेस्क्यू कराई गईं पहाड़िया जनजाति की 11 नाबालिग बच्चियों को रांची लेकर पहुंची। बच्चियों की सकुशल रेस्क्यू कराने में राज्य बाल अधिकार व संरक्षण आयोग, समाज कल्याण विभाग, पुलिस प्रशासन एवं राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष-श्रम विभाग की टीम का अहम योगदान रहा।
प्रेमाश्रय में रखी गई सभी बच्चियां
साहिबगंज और पाकुड़ जिले की रहने वाली इन सभी बच्चियों को फिलहाल रांची स्थित प्रेमाश्रय बालिका गृह में रखा गया है। मनरेगा आयुक्त-सह-निदेशक-सह-सदस्य सचिव, झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था राजेश्वरी बी ने यहां इन बच्चियों से मुलाकात कर उनसे पूरी जानकारी ली। अब रांची जिला बाल संरक्षण अधिकारी इन सभी बच्चियों को कल इनके साहिबगंज और पाकुड़ जिले में स्थित उनके घर ले जाकर परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया पूरी करेंगे।
क्या है पूरा मामला
ज्ञात हो कि पाकुड़ जिला के हिरणपुर थाना क्षेत्र से 25 व्यक्ति इस वर्ष 7 जनवरी को बेंगलुरु गए थे। इनमें 1 बालक समेत 11 नाबालिग बच्चियां भी शामिल थीं। इनमें 7 पाकुड़ और 4 साहिबगंज जिले की रहने वाली थी। इनके नाबालिग होने की बात सामने आने पर बेंगलुरु पुलिस ने सभी को सीडब्ल्यूसी, बेंगलुरु के सुपुर्द कर दिया।
सीडब्ल्यूसी की जांच में पता चला कि ये सभी ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार हुईं हैं। ऐसे में सीडब्ल्यूसी, बेंगलुरु ने इन सभी बच्चियों को वापस उनके घर भेजने के लिए डीसीपीओ और बेंगलुरु पुलिस से संपर्क किया। इसके उपरांत उन्होंने रांची के जिला बाल संरक्षण अधिकारी से संपर्क साध पूरी जानकारी दी। इसके बाद राज्य बाल अधिकार और संरक्षण आयोग के द्वारा इन सभी बच्चियों को वापस लाने की सारी प्रक्रिया पूरी की गई।