पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तीकरण के तीन दशक

विचार / फीचर देश
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गिरिराज सिंह

भारत के स्थानीय स्वशासन प्रणाली के इतिहास में 24 अप्रैल एक महत्वपूर्ण दिन है। राष्ट्रपति ने 1993 में इसी दिन देश की पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देते हुए 73वें संविधान संशोधन को अपनी स्वीकृति दी थी। पंचायतों को त्रि-स्तरीय प्रणाली प्रदान करने वाले और पंचायतों को शक्तियों और जिम्मेदारियों का हस्तांतरण करने वाले इस संशोधन की अगली कड़ी के रूप में भाग IX को संविधान में जोड़ा गया था। संविधान का 73वां संशोधन आज अपना 30वां साल पूरा कर रहा है।

पंचायती राज संस्थाएं लोकतंत्र के लिए स्तंभ हैं। पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अनेक कदम उठाए और अमृत काल के दौरान तो और भी अधिक जोरदार प्रयास किए। अनुसूचित क्षेत्रों तक पंचायत का विस्तार पीईएसए अधिनियम का कार्यान्वयन उन प्रमुख कदमों में शामिल है।

इस अधिनियम के माध्यम से हमने एक मजबूत प्रणाली स्थापित की है, जिसमें देश के कुछ हिस्सों में सक्रिय पारंपरिक पंचायतों को उनके नियमों और विनियमों के अनुसार मान्यता दी जाती है। हमारी सरकार के निरंतर प्रयासों से, अधिकांश राज्यों ने पीईएसए अधिनियम को लागू कर दिया है और हम शेष राज्यों को इसे लागू करने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में हमने ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं और विकास की गतिविधियों का समर्थन करने को लेकर पंचायती राज संस्थाओं ने वित्तीय संसाधनों के आवंटन में एक ऊंची छलांग लगाई है। हम पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत और सशक्त बनाने के लिए कई पहल कर रहे हैं।

पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों की भूमिका और जिम्मेदारियों को पूरा करने की उनकी क्षमता में वृद्धि और समावेशी विकास, आर्थिक विकास और सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के अनुरूप लक्ष्यों को हासिल करने में योगदान देने के लिए पंचायती राज संस्थाओं की कार्यकुशलता, कामकाज की पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार करने के लिए कई पहल कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री का विजन है कि हमें पंचायतों को सशक्त बनाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भी बनाना है। हमारा प्रयास है कि पंचायती राज संस्थाएं अपनी आवश्यकताओं का स्व-मूल्यांकन करते हुए जनभागीदारी से शासकीय योजनाओं की धनराशि के साथ-साथ राजस्व के अपने स्रोत विकसित करें। उन निधियों से पंचायतों की अपनी आवश्यकताओं के अनुसार योजनाओं का क्रियान्वयन करें और निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर हों।

ग्राम सभा केंद्रीय होने के साथ-साथ स्थानीय स्वशासन का अभिन्न अंग है और साथ ही ग्राम सभा पंचायतों के पारदर्शी और जवाबदेह कामकाज के लिए बहुत आवश्यक है। हमारी सरकार सभी हितधारकों को शामिल करते हुए ग्राम सभाओं को जीवंत संचालन के लिए प्रोत्साहित करती रही है।

केंद्र सरकार का यह निरंतर प्रयास रहा है कि 73वें संविधान संशोधन के बाद पंचायती राज संस्थाओं को न केवल राज्यों द्वारा उन्हें आवंटित 29 विषयों के क्षेत्र में सशक्त किया जाए, बल्कि उन्हें क्रियात्मक भी बनाया जाए। कई राज्यों ने इस दिशा में बेहतर प्रयास किए हैं। जम्मू-कश्मीर प्रशासन, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा इस दिशा में किए गए गंभीर प्रयासों के लिए सराहना के पात्र हैं। इसी प्रकार, अन्य राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को भी पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए।

केंद्र सरकार ने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के स्थानीयकरण और इसके लिए ग्राम पंचायत  की विकास योजनाओं (जीपीडीपी) के पुनर्गठन पर स्थानीय स्तर पर काम करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों और विभिन्न पदाधिकारियों की शासन क्षमता के निर्माण और प्रशिक्षण पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। उल्लेखनीय है कि 2022-23 तक लगभग सभी ग्राम पंचायतें और समकक्ष निकाय अपनी जीपीडीपी तैयार कर चुके हैं।

स्थानीय शासन में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए, पंचायती राज मंत्रालय ने ‘योजना से भुगतान’ तक सभी गतिविधियों के लिए डिजिटल मोड में ई-ग्रामस्वराज एप्लिकेशन जैसे डिजिटल समाधान प्रदान करने वाली पंचायतों का डिजिटलीकरण सुनिश्चित किया है। जीईएम पर पंचायतों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की नवीनतम पहल है, जिसे आज रीवा, मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया जा रहा है।

पंचायत खातों के ऑनलाइन ऑडिट के लिए ऑडिट ऑनलाइन एप्लिकेशन विकसित किया गया है। इस प्रकार, ‘न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन’ के आदर्श वाक्य के साथ ई-गवर्नेंस की पहल स्थानीय सरकार तक पहुंच गई है, जो हमारी सरकार का एकमात्र योगदान है, क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री ने अप्रैल 2020 में ई-ग्रामस्वराज एप्लिकेशन लॉन्च किया था।

पीएम स्वामित्व योजना, हमारे प्रधानमंत्री का एक अभिनव विचार, संपत्ति कार्ड जारी करने के माध्यम से गांव के परिवारों के मालिकों को ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ प्रदान करता है। अधिकार का रिकॉर्ड ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के मुद्रीकरण में गेम चेंजर साबित हो रहा है, इसके अलावा पंचायतों को निकट भविष्य में अपने स्वयं के राजस्व के स्रोतों को बढ़ाने के प्रयास में संपत्ति कर का आकलन और संग्रह करने में सक्षम बनाता है।

पंचायती राज मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों की योजनाओं को मिलाकर और राज्यों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में सक्रिय जनभागीदारी और इसके पुनर्वितरण से ‘आजादी का अमृत काल’ के दौरान पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता के अपने लक्ष्य की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है।

इस राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर, मैं सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों और पंचायती राज संस्थाओं के पदाधिकारियों को बधाई देता हूं और पंचायत विकास की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

(लेखक केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज्‍य मंत्री हैं।)