रांची। गृह जिला स्थानांतरण को लेकर झारखंड के विभिन्न स्कूलों के शिक्षक लगातार गुहार लगा रहे हैं। इस मामले को लेकर विभिन्न शिक्षक संघ मुख्यमंत्री से लेकर अन्य शिक्षा पदाधिकारियों को ज्ञापन तक सौंप चुके हैं।
वर्षों से प्रयास के बाद भी अब तक शिक्षकों के गृह जिला स्थानांतरण को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इससे शिक्षकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द इस मामले में कदम उठाने की मांग की है। सोशल मीडिया पर शिक्षक लगातार अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।
एकीकृत गृह जिला स्थानांतरण शिक्षक संघ के मुख्य प्रदेश प्रतिनिधि प्रेम प्यारे लाल सरकार से बार-बार गुहार लगा रहे हैं कि सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं का अंतर जिला स्थानांतरण शीघ्र किया जाय।
धनबाद में पदस्थापित शिक्षक दीपक कुमार का गृह जिला रांची है। उनके मुताबिक वह घर का एकमात्र सहारा हैं। उनके अंतर जिला स्थानांतरण की राह देखते-देखते उनके पिताजी की मृत्यु हो गया। घर में बूढ़ी मां, बीमार पत्नी, असहाय बच्चे हैं। उन्हें भगवान भरोसे छोड़ कर 150 किमी दूर जीने को मजबूर हैं।
कुमार प्रकाश साहिबगंज जिले में पदस्थापित हैं। उनका गृह जिला धनबाद है। उनके मुताबिक पिछले 5 साल से उनके माता-पिता हृदय, गुर्दा, शुगर एवं रक्तचाप से पीड़ित हैं। साल में एक बार सीएमसी वेल्लोर ओर हर एक माह बाद दुर्गापुर मिशन में चिकित्सा के लिए जाना पड़ता है। घर में उनकी पत्नी और दो बेटी है। वह मानसिक रूप से काफी परेशान हैं।
संध्या कुमारी सिन्हा कोडरमा जिला में कार्यरत हैं। इनका गृह जिला पूर्वी सिंहभूम है। इनके पति की मृत्यु 3 मार्च, 2023 को हो गया है। घर में छोटी ननद हैं। घर में काफी समस्याएं हैं। इसे देखते हुए उन्होंने शीघ्र गृह जिला स्थानांतरण की मांग की है।
हजारीबाग में पदस्थापित शाहीना प्रवीण का गृह जिला रामगढ़ है। उनके घुटने में दर्द रहता है। घर पर दिव्यांग सास रहती है। घर से दूर रहने के कारण वह चाहकर भी उनकी देखभाल नहीं कर पा रही है। बच्चों की देखभाल भी नहीं कर पाती हैं। वह गृह जिला रामगढ़ जाना चाहती है।
मृनाल कान्ति यादव पूर्वी सिंहभूम में पोस्टेड है। उनका गृह जिला जामताड़ा है। इनके माता-पिता दोनों बीमार रहते हैं। घर के इकलौते पुत्र हैं। वह माता पिता की सेवा करने के साथ-साथ बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा देना चाहते हैं। इसके लिए गृह जिला स्थानांतरण चाहते हैं।

पुनीत साव कहते हैं कि वह दुमका जिले में पदस्थापित हैं। भाषा शिक्षक में होने के कारण यहां की स्थानीय बोली संताली और बांग्ला से अनभिज्ञ हैं। वह बच्चों को उनकी मातृभाषा में समझा नहीं पाते हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख है कि बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा दी जाये। मां-पिताजी भी बूढ़े हैं। वह कहते हैं कि गृह जिला स्थानांतरण का मौका सभी शिक्षकों को दिया जाना चाहिए, ताकि अपने प्रखंड में मनोयोग से शिक्षक काम कर सकें। वह हजारीबाग जाना चाहता हैं।
बोकारो में पदस्थापित रीता गुप्ता का जिला चतरा है। पति का जॉब चतरा में है, पर घर से 70 किलोमीटर दूर वह स्कूल में कार्यरत है। घर में सास अकेली रहती है। उनका परिवार पूरा बिखर गया है। वह मानसिक तनाव में ज्यादा रहती है। इसलिए गृह जिला जाना चाहती है।
धनबाद में पोस्टेड रामबृक्ष पाण्डेय का गृह जिला चतरा है। इन्हें मिर्गी की बीमारी है। हमेशा दौरा पड़ता है। उनका कहना है कि कम से कम गृह जिला में रहेंगे तो कोई उनकी देखभाल करने वाला रहेगा। पास स्कूल होने पर बच्चों को बेहतर ढंग से पढ़ा पाएंगे। इसीलिए गृह जिला स्थानांतरण चाहते हैं।
मो असफाक अंसारी का गृह जिला रांची है। वह सिमडेगा जिले में कार्यरत हैं। वह मधुमेह से पीड़ित हैं। मां और पिताजी दोनों बूढ़े हैं। उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। विद्यालय से घर काफी दूर होने के कारण मां और पिताजी का सही तरीका से सेवा नहीं कर पा रहे हैं।