खूंटी। झारखंड (Jharkhand) के खूंटी जिले में हो रहे लेमनग्रास की खेती की सुगंध दिल्ली तक पहुंच गई है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग की दो सदस्यीय टीम 6 अप्रैल ’23 को लेमनग्रास की खेती की स्थिति का जायजा लेने खूंटी पहुंची। टीम में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान की असिस्टेंड प्रोफेसर रूचिका भट्टाचार्य एवं रिसर्च एसोसिएट सुधीर कुमार सिंह शामिल थे।
टीम के सदस्यों ने पहले स्थानीय परिसदन सभागार में जेएसएलपीएस के अधिकारियों और सेवा वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष के साथ बैठक की। इस दौरान जिले में हो रही लेमनग्रास की खेती, आसवन और व्यापार की विस्तार पूर्वक जानकारी ली। इसके बाद लेमनग्रास की खेती, आसवन ईकाई देखने के लिए फील्ड रवाना हुई। इस क्रम में कोजड़ोंग, सुरूंदा, अनिगड़ा, बिरहू गांवों का दौरा कर लेमनग्रास कृषकों से बातचीत की।
सुरूंदा में एक महिला किसान ने बताया कि उनके द्वारा 50 डिसमिल भूमि में लेमनग्रास की खेती की। पहली कटाई में उन्होंने आठ किलो तेल बेचा है। टीम ने अनिगड़ा में संचालित आरएससी की दीदीयों के साथ बैठक कर लेमनग्रास की स्थिति को जाना।
डीपीएम ने टीम को बताया कि खूंटी जिले के सभी छह प्रखंडों में 400 एकड़ से भी ज्यादा बेकार पड़ी भूमि पर लेमनग्रास की खेती की गई है। जिला प्रशासन ने एक टन क्षमता वाले तीन अत्याधुनिक आसवन ईकाई मुरहू के सुरूंदा, खूंटी सदर प्रखंड के मारंगहादा और अड़की प्रखंड के चलकद में आसवन ईकाई की स्थापना की।
सेवा वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष ने बताया कि अब लेमनग्रास तेल के बाजार की समस्या को समाप्त कर लिया गया है। अब आसानी तेल की बिक्री हो जाती है।
टीम के सदस्यों ने कहा कि इससे पूर्व उनके द्वारा जहां भी लेमनग्रास की खेती देखी गई, उसमें सबसे बेहतर लेमनग्रास की खेती, आसवन और व्यापार खूंटी में हो रहा है। टीम ने खूंटी में लगे आसवन ईकाई की भी प्रशंसा की।
टीम का सहयोग जेएसएलपीएस के डीपीएम शैलेश रंजन, बीपीएम प्रमोद झा, सबीता संगा, बीपीओ लक्ष्मी नारायण पिंगुवा, संजय झा, एफटीसी आनंद ज्योति मिंज, अशोक लाल गंझू वे सेवा वेलफेयर सोसाईटी के प्रतिनिधि शामिल थे।