Coal India : नई दिल्ली। वेतन समझौता सहित अन्य मुद्दे पर जेबीसीसीआई की बैठक लगातार हो रही है। वेतन समझौते में 19 प्रतिशत एमजीबी देने पर यूनियन और प्रबंधन में सहमति बन चुकी है। हालांकि इसपर अंतिम मुहर नहीं लग सकती है। इसके अलावा विभिन्न मत्तों पर भी सहमति बनकर इसे लागू किया जाना है। इस बीच कामगार कुछ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा चाहते हैं।
कामगारों का कहना है कि कोयला खनन को विषम परिस्थिति वाला उद्योग माना जाता है। यहां खुली और भूमिगत दोनों खदानों से कोयला निकाला जाता है। कोयला उत्पादन में अधिकारी और कामगार दोनों की लगभग भागीदारी होती है। अफसर रणनीति तैयार करते हैं। कामगार उसे अमलीजामा पहनाते हैं। इसमें एक ने भी ढील दी तो उत्पादन संभव नहीं है।
कामगारों का कहना है कि दोनों एक ही हालात में काम करते हैं। संवर्ग अलग होने के कारण अधिकाकारियों का वेतनमान अलग होना लाजिमी है। हालांकि कई ऐसे मामले हैं, जिसमें भेदभाव होना उचित नहीं है। स्थिति के मद्देनजर उसमें एकरूपता होनी चाहिए। इसके लिए यूनियन को पहल करना जरूरी है।
कामगारों के अनुसार अधिकारियों को एक साल में 30 ईएल मिलता है। 1 जनवरी से 30 जून तक 15 दिन और 1 जुलाई से 31 दिसंबर तक 15 दिन मिलता है। कामगारों को 20 दिन की हाजिरी पर 1 ईएल मिलता है। एक ही परिस्थिति और हालात में काम करने की वजह से इसमें इतना अंतर होना ठीक नहीं है। इसे पाटे जाने की जरूरत है।
कामगार और अधिकारी दोनों ने CPRMS में 40 हजार रुपए जमा किए। इस सुविधा में कामगारों के ट्रीटमेंट की सीमा 8 लाख रुपए है। अधिकारी की सीमा 25 लाख है। इसमें भी 5 बीमारी होने पर खर्च अनलिमिटेड है। अगर किसी ने इस स्कीम के तहत ट्रीटमेंट नहीं कराया तो हर साल 36 हजार रुपए रिफंड होता है।
कामगारों का कहना है कि समान रूप से राशि जमा करने के बाद भी ट्रीटमेंट की सीमा में इतना अंतर नहीं होना चाहिए। बीमारी का प्रभाव अधिकारी और कामगार के लिए अलग-अलग नहीं होता है। इस स्कीम में अन्य सुविधा भी अलग-अलग नहीं होनी चाहिए।
इसी तरह मृतक के आश्रितों के नौकरी के मामले में भी काफी भेदभाव है। मृत कामगार के आश्रितों को जनरल मजदूर के तौर पर रखा जाता है। अधिकारी के आश्रितों को सीधे क्लर्क बनाया जाता है।
कामगारों का कहना है कि जब ये कानून बना था, तब से अब की स्थिति में व्यापक बदलाव आ गया है। अब कामगार के बच्चे भी उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। काफी पढ़े-लिखे होने के बाद भी जनरल मजदूर के तौर पर ऐसे आश्रितों की नियुक्ति करना उनकी योग्यता के साथ अन्याय है। अब समय आ गया है कि योग्यता को आधार बनाया जाए। कामगार और अधिकारी के आश्रितों के आधार पर भेदभाव नहीं हो।