दरभंगा। बिहार में रिश्वतखोरी चरम पर है। बगैर चढ़ावा चढ़ाये कोई काम नहीं होता। यकीन न हो, तो अजमा लें। ताजा मामला दरभंगा का है। आईए जानें पूरी डिटेल्स… गुरुवार को निगरानी ब्यूरो ने दरभंगा से एक नहीं, बल्कि दो-दो रिश्वतखोरों को घूस की राशि के साथ रंगेहाथ दबोचा है। एक रिश्वतखोर कार्यपालक अभियंता, तो दूसरा सहायक अभियंता। दोनों को 2 लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।
घटना के संबंध में बताया जाता है कि दरभंगा स्थित 1883 में निर्मित लक्ष्मीश्वर विलास पैलेस (कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का प्रशासनिक भवन) की मरम्मत का काम चल रहा है। मरम्मत का काम बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम, दरभंगा प्रमंडल के जिम्मे हैं।
इसी निगम में कार्यरत कार्यपालक अभियंता संजीव कुमार और सहायक अभियंता अनिल कुमार जायसवाल पैलेस की मरम्मत कर रहे ठेकेदार से 2 लाख रिश्वत लेते दरभंगा के शिक्षा भवन परिसर से गिरफ्तार कर लिये गये हैं।
पटना के राजेश कुमार नामक एक ठेकेदार ने निगरानी ब्यूरो में शिकायत दर्ज करायी थी। शिकायत में कहा गया था कि यह दोनों इंजीनियर कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के विभिन्न भवनों तथा छात्रावासों में कराये गये मरम्मत कार्य की राशि भुगतान के लिए रिश्वत मांग रहे हैं। निगरानी ब्यूरो ने सत्यापन कराया, तो मामला सही पाया गया।
निगरानी ब्यूरो ने पाया कि यह दोनों अधिकारी एक-एक लाख रुपये रिश्वत मांग रहे हैं। आरोप सही पाये जाने के बाद पुलिस उपाधीक्षक समीर चंद्र झा के नेतृत्व में एक धावा दल का गठन किया गया। छापेमारी में संजीव कुमार एक लाख और अनिल कुमार जायसवाल भी एक लाख लेते हुए शिक्षा भवन परिसर में रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिये गये। अब उन्हें निगरानी अदालत मुजफ्फरपुर में पेश किया जाएगा।