- समय सारणी को छात्रों की मनोदशा के विपरीत बताया
रांची। झारखंड के सरकारी स्कूलों के लिए सरकार ने आदर्श दिनचर्या लागू कर दिया है। शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना जारी होने के बाद स्कूलों की कार्यावधि को लेकर विवाद शुरू हो गया है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने आदर्श दिनचर्या पर सवाल खड़े किए है। इसे अव्यवहारिक और छात्रों की मनोदशा के विपरीत बताया है। इसपर पुनर्विचार कर आवश्यक संशोधन करने की मांग की है।
संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर और मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा है कि विद्यालय दिनचर्या निर्धारण में पुरानी अधिसूचनाओं के प्रावधानों का ध्यान नहीं रखा गया है। शिक्षक संघ के साथ हुए विचार-विमर्श के बाद व्यवहारिक और अन्य पक्षों को ध्यानगत रखते हुए अधिसूचना (संख्या 20 और 1940) निर्गत की गई है। इस पर विभागीय मंत्री की सहमति प्राप्त है। हालांकि वर्तमान पत्रांक 1940 उक्त को नजरअंदाज कर उससे प्रतिकूल निर्गत किया गया है।
संघ ने कहा कि विद्यालय दिनचर्या पत्र में प्रातःकालीन विद्यालय संचालन में अपराह्न 1 से 2 बजे और दिवाकालीन संचालन में अपराह्न 3 से 4 बजे विद्यालय के सभी बच्चों के लिए एक साथ खेल गतिविधियों के लिए समय निर्धारित किया गया है।
विभागीय अधिसूचना (संख्या 20 दिनांक, 06.01.2022) के प्रावधान के अनुसार प्रातःकालीन व्यवस्था में अपराह्न 2 बजे तक एवं दिवाकालीन व्यवस्था में अपराह्न 4 बजे तक विद्यालय में रहने की बाध्यता से शिक्षकों को मुक्त रखा गया है। विद्यालय संचालन वास्तविक रूप में प्रातःकालीन व्यवस्था में 1 बजे एवं दिवाकालीन व्यवस्था में 3 बजे तक ही निर्धारित है। वर्तमान में इसे क्रमश: 2 बजे और 4 बजे अपराह्न तक दर्शाया गया है।
संघ के पदधारियों ने कहा है कि प्रातःकालीन व्यवस्था में दोपहर 12 बजे के बाद प्रचंड गर्मी और लू का प्रभाव रहता है। इसी प्रकार शीतकाल में भी दोपहर के बाद अधिक ठंढ़ रहती है। इस प्रकार दोनों ही मौसम के लिए खेल गतिविधियों के लिए निर्धारित क्रमश: 1 से 2 बजे अपराह्न और 3 से 4 बजे अपराह्न का समय प्रसांगिक, अव्यवहारिक एवं छात्रों के स्वास्थ्य हितों के प्रतिकूल प्रतीत होता है। इस अवधि में छात्रों के साथ होने वाली किसी स्वास्थ्य परेशानियों के उत्पन्न होने की स्थिति में शिक्षकों को ही अभिभावकों का कोपभाजन बनना पड़ सकता है।
पदधारियों ने कहा कि राज्य के अधिकतम विद्यालयों में बड़े खेल का मैदान उपलब्ध भी नहीं है। जहां विद्यालय के सभी बच्चों (100-200 से लेकर 900-1000) के लिए एक साथ खेलने का स्थान उपलब्ध हो सके। इनडोर खेल के लिए विद्यालयों में यथोचित स्थान उपलब्ध होना संभव प्रतीत नहीं होता, क्योंकि सभी कक्ष में बेंच डेस्क होते हैं।
पदधारियों ने कहा कि विभागीय अधिसूचना (संख्या 2144, दिनांक 02.11.2021) और झारखंड राज्य मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के पत्र (संख्या 697, दिनांक 16.12.2022) में प्रातःकालीन विद्यालय व्यवस्था में एमडीएम के लिए सुबह 9.30 से 10 बजे का समय निर्धारित है। वर्तमान अधिसूचना में यह 11 से 11.30 बजे अंकित है। यहां एक गंभीर स्थिति यह होती है कि प्रातःकालीन विद्यालय में सुबह-सुबह अधिकांश बच्चे बिना नाश्ता किए ही विद्यालय आते हैं। ऐसे में 11 बजे तक इन्हें खाली पेट रखना उनके स्वास्थ्य हित में उचित प्रतीत नहीं होता है।
पदधारियों ने उक्त तथ्यों के मद्देनजर खेल गतिविधियों के लिए निर्धारित अपराह्न 1 से 2 बजे और 3 से 4 बजे की व्यवस्था को क्षांत करने की मांग की है। प्रातःकालीन व्यवस्था में मध्याह्न भोजन परोसने के समय पर पुर्नविचार करने का आग्रह भी किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि विद्यालय व्यवस्था से जुड़े अहम विषयों पर शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श की स्वस्थ व्यवस्था को बहाल रखा जाए।