
नागपुर। हैरान कर देने वाली खबर नागपुर से आयी है। यहां 41 साल के शख्स ने शराब के साथ वियाग्रा की दो टैबलेट ले ली, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। जर्नल ऑफ फॉरेंसिक एंड लीगल मेडिसिन में पब्लिश हुई एक स्टडी के मुताबिक, डॉक्टरों ने इसे रेयर केस बताया है। AIIMS के छह डॉक्टरों की टीम ने यह स्टडी पिछले साल सितंबर में जमा की थी, जो इस हफ्ते ऑनलाइन पब्लिश की गई है। इसे प्रिंट फॉर्मेट में पब्लिश से पहले रिव्यू किया जाएगा और जरूरी बदलाव किए जाएंगे।
केस स्टडी में डॉक्टरों ने बताया कि यह शख्स अपनी दोस्त से मिलने के लिए होटल में रुका था, जहां उसने शराब पीते हुए सिल्डेनाफिल की दो 50mg वाली टैबलेट ले ली। यही कॉम्पोजिशन वियाग्रा के नाम से मार्केट में बेचा जाता है।
डॉक्टरों ने बताया कि इस शख्स की कोई मेडिकल या सर्जिकल हिस्ट्री नहीं थी।
अगली सुबह उसकी तबीयत खराब होने लगी। उसे उल्टियां भी हुईं। उसकी दोस्त ने डॉक्टर को दिखाने की बात कही, लेकिन इस शख्स ने बताया कि पहले भी उसकी ऐसी तबीयत खराब हुई है। इसलिए डॉक्टर को दिखाने की जरूरत नहीं है।
कुछ देर बाद उसकी हालत ज्यादा बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। स्टडी के मुताबिक इस शख्स की मौत सेरीब्रोवास्कुलर हेमोरेज से हुई थी, जिसमें दिमाग तक ऑक्सीजन सप्लाई रुक जाती है।
शख्स के पोस्टमॉटर्म में डॉक्टरों को उसके दिमाग में 300mg का खून का थक्का मिला। डॉक्टरों ने निष्कर्ष निकाला कि हाई-ब्लड प्रेशर के चलते अल्कोहल और दवा के मिश्रण की वजह से उसकी मौत हुई। डॉक्टरों ने स्टडी में लिखा- हम ये रेयर केस इसलिए पब्लिश कर रहे हैं, ताकि लोग इस बारे में जगरूक हों कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की दवा बिना डॉक्टर की सलाह के लेना खतरनाक हो सकता है।
इस मामले में आर्टेमिस अस्पताल, गुड़गांव के डॉ पी. वेंकट कृष्णन ने बताया कि वियाग्रा पर वॉर्निंग लिखी होती है कि इसका इस्तेमाल करने वाले शख्स को कोई हार्ट डिसीज नहीं होना चाहिए और वह किसी तरह के हार्ट मेडिकेशन पर नहीं होना चाहिए। इसलिए, वियाग्रा प्रेस्क्राइब करने वाले डॉक्टरों को पेशेंट की हार्ट कंडीशन को देखकर ही दवा प्रेस्क्राइब करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मेरे खयाल से नागपुर केस में व्यक्ति की मौत का एल्कोहल से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। ये रेयर केस तो है, पर ऐसा नहीं कि ऐसे केस होते नहीं। हार्ट पेशेंट्स को वियाग्रा लेने पर हमेशा रिस्क रहता है।
एक बार में दो टैबलेट लेना भी रिस्की है, हालांकि हम फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को रेगुलर बेस पर दो वियाग्रा खाने की सलाह देते हैं। इसलिए ऐसा भी नहीं है कि वियाग्रा की दो टैबलेट खाना घातक होता है।
अगर किसी व्यक्ति को वियाग्रा खाने के बाद किसी तरह की बैचेनी होती है, तबीयत बिगड़ती है, चेस्ट पेन होता है, ज्यादा पसीना आता है या ऐसा महसूस होता है कि कुछ सही नहीं है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। घर पर इसका कोई इलाज नहीं है।