रांची। रामायण ऐसा महाकाव्य है, जिसका हर प्रसंग हमें कुछ न कुछ सिखाता है। रामायण को चाहे किसी भी भाषा में पढ़ें, इसमें प्रभु श्री राम का चरित्र श्रेष्ठ मानवीय गुणों से भरा मिलता है।
इस भाव से प्रेरित होकर विद्यालय के बच्चों ने रामकथा पर एक एकांकी प्रस्तुत किया, जिसका भाव था कि नारायण सब जगह व्याप्त हैं। कर्म ही पूजा है। अच्छे कर्म से ही भगवान के दर्शन होते हैं। बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए श्री राम ने त्रेता युग में अवतार लेकर धरती पर सुख और शांति का संदेश दिया।
श्री राम के इस रूप को देखकर स्कूल प्रांगण में सभी बच्चे ‘जय सिया राम’ का नारा लगाते हुए काफी खुश नजर आ रहे थे। श्री राम के जन्म उत्सव को मनाते हुए ‘श्री राम जानकी’ पर एक नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसमें सभी कक्षा के बच्चे शामिल थे।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने श्री राम के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक मनुष्य के जीवन में माता-पिता का सर्वोच्च स्थान होता है। उसी मर्यादा का पालन करने के कारण वे श्री मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाए।
प्रधानाध्यापिका ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से बच्चे अपने देश और उसकी संस्कृति से परिचित होते हैं, जो उनके सार्वांगिक विकास के लिए आवश्यक है।