रांची। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि जब कम आय वाले परिवार का कोई व्यक्ति बीमारी से ग्रसित होते हैं, तब उसके उपचार में अत्यधिक खर्च होने के कारण उसके पूरे परिवार का बजट बिगड़ जाता है। आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता और इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस परिप्रेक्ष्य में ‘प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना’ के द्वारा लोगों का सस्ता एवं प्रभावी उपचार किया जा सकता है। राज्यपाल 7 मार्च को ‘प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना’ अंतर्गत ‘5वें जन औषधि दिवस’ के अवसर पर रांची स्थित आड्रे हाउस में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत लोगों को सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण दवा उपलब्ध कराना अद्वितीय व सार्थक पहल है। इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन आवश्यक है। इससे लोगों को वांछित राहत मिलेगी। यह राज्य में रहने वाले हर नागरिकों के बीच सुगम हो, इस दिशा में उचित प्रयास हो। उन्होंने कहा कि ब्रांड को नहीं, सही उपचार को देखा जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि इस दिवस का थीम ‘जन औषधि-सस्ती भी अच्छी भी’ है, जो हमारे समाज के सभी वर्गों के लिए सस्ती दवाओं की उपलब्धता और पहुंच के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि समाज के गरीब से गरीब व्यक्ति बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध प्राप्त कर सके, इस दिशा में माननीय प्राधानमंत्री द्वारा ‘आयुष्मान भारत योजना’ का शुभारंभ किया गया। यह कम आय वाले परिवारों के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में वरदान है। वहीं जन औषधि योजना के माध्यम से सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय किए गए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड राज्य के संदर्भ में यह अत्यन्त महत्वपूर्ण व लाभकारी है। इन योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन से सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक में रहने वाले लोग लाभान्वित होंगे। उन्होंने प्रत्येक जिला व सामुदायिक स्तर के अस्पतालों एवं स्थानीय स्तर पर जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए कहा, ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके।
उन्होंने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में जन औषधि योजना के तहत दवाएं उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान देने की बात कही। इस योजना अंतर्गत सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराकर आम लोगों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। उन्होंने इस योजना के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने एवं लोगों को इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित करने की बात कही।
उक्त अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि ‘जन औषधि दिवस’ सिर्फ एक दिवस तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बेहतर परिणाम आने चाहिए। इसके प्रति जन-जागृति लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आम आदमी का अपने आय का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य व्यय होता है, ऐसे में जेनेरिक दवाओं का उपयोग स्वस्थ्य के क्षेत्र में एक जन क्रांति होगा। उन्होंने चिकित्सकों से जेनेरिक दवाओं को प्रोत्साहित करने की बात कही।
कार्यक्रम में रांची महापौर डॉ आशा लकड़ा ने कहा कि जन औषधि दवा की कीमत 50 प्रतिशत से भी कम होती है। उन्होंने कहा कि जब वे जन औषधि केन्द्रों का उद्घाटन करने जाती हैं तो लोगों में इन केन्द्रों के प्रति उत्साह देखा जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न जनजातीय एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा संख्या में जन औषधि केन्द्र खोलने का प्रयास करना चाहिए।
अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अरुण कुमार सिंह ने कहा कि विभाग का लक्ष्य सभी पंचायतों में जन औषधि केन्द्र खोलना है। उन्होने कहा कि इसके अलावा अमृत फार्मसी की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक आकलन के मुताबिक जन औषधि दवाईयों का इस्तेमाल करने से राज्य में 32 करोड़ रुपये की बचत हुई। 8 करोड़ रुपये खर्च करके 40 करोड़ रुपये मूल्य की दवाओं का सदुपयोग किया गया है।
इस अवसर पर जन औषधि कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्कृष्ट कार्य करने वाले चिकित्सकों, जन औषधि केन्द्रों एवं लाभुकों को सम्मानित किया गया।