JHARKHAND में दिनों दिन गुस्सैल हो रहे गजराज, जानिए गुस्से के लक्षण और बचाव के उपाय

झारखंड
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रांची। झारखंड में हाथियों के हमले बढ़ते जा रहे हैं। आये दिन खेतों में काम कर रहे महिला-पुरुष किसान इनके हमले में अपनी जान गंवा रहे हैं। रांची और लोहरदगा के सीमावर्ती क्षेत्र में जंगली हाथियों ने तीन दिनों में 10 लोगों की जान ले ली।

वन विभाग की ओर से आशंका जताई जा रही है कि झुंड से बिछड़ा नौजवान हाथी हमलावर हो गया है। वन विभाग ने इस हाथी से निपटने के लिए पश्चिम बंगाल की विशेषज्ञ टीम से मदद लेने का निर्णय लिया है। वन विभाग की ओर से एक समिति भी बनाई गई है।

रांची डीएफओ की अध्यक्षता में बनी चार सदस्यीय समिति मामले में छानबीन करेगी। जांच समिति पता लगाने की कोशिश करेगी कि क्या एक ही हाथी ने हाल में 16 लोगों को मारा है? अगर समिति ये प्रमाणित करती है, तो एक या दो उस हाथी के संबंध में कठोर फैसला लिया जा सकता है। समिति इस बात की भी जांच करेगी कि क्या हाथी जानबूझकर लोगों का मार रहा है या लोगों के हमले से वह आक्रमक हो गया है।

जंगली हाथी अगर गुस्से में है और हमला करने वाले हैं, तो इसके वे कई तरह के संकेत देते हैं। इस संकेत को समझने से बचाव हो सकता है। हाथी अगर कान खड़े कर सूड़ ऊपर उठाकर आवाज दे, तो समझ जाएं कि वह हमला करने आ रहे हैं। वहीं जंगली हाथी अपना सूड़ झटक रहा हो या पैर को फुलाता है, तब भी समझ जाएं कि वो गुस्से में है तत्काल उससे दूर हो जाएं।

जंगली हाथियों से बचाव को लेकर लोगों को समझदारी दिखाने की जरूरत है। भीड़ लगाकर हाथियों को खदेड़ने का प्रयास जानलेवा साबित हो सकता है। जानकार बताते हैं कि घरों और खंभों पर तेज रोशनी वाले बल्ब जलाएं। रोशनी वाले क्षेत्र में हाथी कम आते हैं।

हाथियों के सूंघने की शक्ति प्रबल होती है, इसलिए हाथी को भगाने के क्रम में हवा की दिशा का ध्यान रखें। हवा की दिशा में अगर हाथी हो तो मिर्च का मशाल जलाकर तत्काल धुआं करें। इसके अलावा मिर्च लपेटी रस्सी के साथ-साथ गोबर में भी मिर्च पाउडर मिलाकर सूखा कर रख लें। हाथी के आने पर घर के आंगन या बाहर उसे जला देने से उसके नुकसान से बचा जा सकता है।

लाल मिर्च के पाउडर को जले हुए मोबिल या ग्रीस में अच्छी तरह मिलाकर उसे मोटी रस्सी में लपेटें। ग्रीस लगी रस्सी को अनाज रखने वाले भंडार के चारों ओर लपेटें या हाथी के प्रवेश की दिशा में बांध दें। रस्सी के साथ सफेद या लाल कपड़े की पट्टी बांधकर लटका दें, क्योंकि हाथी लाल और सफेद रंग को नापंसद करते हैं। जंगली हाथी अगर पीछा करना शुरू कर दें, तो सीधी दिशा में न भागे, बल्कि मुड़-मुड़ कर दौड़ना बेहतर होगा। हालांकि के दौड़ने की अधिकतम स्पीड 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे है, जबकि मानव की अधिकतम स्पीड 37 किलोमीटर प्रति घंटे है।

बता दें कि झारखंड में इस साल जनवरी और फरवरी महीने में जंगली हाथियों के हमले में अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है। 1 जनवरी को गुमला में जंगली हाथियों ने एक ग्रामीण को कुचल डाला। फिर 9 और 10 जनवरी को भी गुमला में ही तीन लोगां को रौंदकर मार डाला। 16, 17 और 19 जनवरी को लातेहार के विभिन्न हिस्सों में तीन लोगों की जान गई।

27 जनवरी को गुमला में 1, 29 जनवरी को बोकारो में 1 और 8 फरवरी को हजारीबाग में तीन की जान गई। 9 फरवरी को सिमडेगा में 1, 19 फरवरी को जामताड़ा में 1, 19 फरवरी को लोहरदगा और लातेहार में 1-1 ग्रामीण की मौत हुई। 20 फरवरी को लोहरदगा में 4 और 21 फरवरी को रांची में 4 लोगों को कुचल कर मार डाला।

साल 2009-10 से लेकर अब तक राज्य में जंगली हाथियों ने 999 लोगों को कुचल कर मार डाला है। एक रिपोर्ट के अनुसार हाल के छह साल में मौत का आंकड़ा बढ़ा है। जंगली हाथियों के हमले में 2009-10 में 54 लोगों की मौत हुई। जबकि 2010-11 में 69, 2011-12 में 62, 2012-13 में 60, 2013-14 में 56 और 2014-15 में 53 की मौत हुई।