मुंबई। बड़ी खबर महाराष्ट्र से आयी है। चुनाव आयोग में शुक्रवार को एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी जीत मिली है। दरअसल, आयोग ने एकनाथ शिंदे की टीम को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दे दी है। इसके साथ ही आयोग ने शिवसेना का नाम और तीर-कमान चुनाव चिह्न भी शिंदे गुट को दे दिया है।
आयोग के इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे की टीम को करारा झटका लगा है। उद्धव ठाकरे को अपनी पार्टी का नाम और पहचान (चुनाव चिह्न) दोनों खोना पड़ा है। चुनाव आयोग ने पाया कि उद्धव गुट की पार्टी का संविधान अलोकतांत्रिक है। इसमें लोगों को बिना किसी के चुनाव के नियुक्त किया गया था।
साथ ही आयोग ने यह भी पाया कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई। इन तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था। इसी के साथ महाराष्ट्र में शिवसेना से अब उद्धव गुट की दावेदारी खत्म मानी जा रही है।
बता दें कि इससे पहले, राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी असली शिवसेना है और सुप्रीम कोर्ट जब 21 फरवरी को मामले में सुनवाई करेगा, तो सच्चाई की जीत होगी। शीर्ष अदालत ने शिवसेना के दो धड़े बनने के बाद महाराष्ट्र में जून 2022 में पैदा हुए सियासी संकट संबंधी याचिकाओं को 2016 के नबाम रेबिया फैसले की समीक्षा के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि 21 फरवरी को इस बात पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों पर 2016 के फैसले में संदर्भ की आवश्यकता है या नहीं। वहीं, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम शिंदे ने कहा, हमें न्यायपालिका में भरोसा है। उम्मीद है कि फैसला गुण-दोष के आधार पर किया जाएगा।