सुप्रीम कोर्ट ने भी झारखंड नियोजन नीति 2016 को बताया असंवैधानिक, हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई मुहर

नई दिल्ली देश
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नई दिल्ली। बड़ी खबर यह आयी है कि सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की 2016 की नियोजन नीति को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने राज्य स्तर पर कॉमन मेरिट लिस्ट बनाने का निर्देश दिया है।

यहां बता दें कि खूंटी के शिक्षक सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर झारखंड हाईकोर्ट के 21 सितंबर 2020 के फैसले को चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार और अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गयी थी। इसमें झारखंड हाइकोर्ट के 21 सितंबर 2020 के आदेश को चुनौती दी गयी थी।

हाइकोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देनेवाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था।

13 शिड्यूल जिले में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था। साथ ही गैर अनुसूचित जिलों में शेष विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति में आगे बढ़ने का आदेश दिया था।

इतना ही नहीं, अनुसूचित जिलों के 8,423 पदों पर नये सिरे से शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था।

जानें क्या है 2016 की नियोजन नीति

2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय व चतुर्थवर्गीय पदों को उसी जिले के स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था, वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गयी थी। इस नीति के आलोक में वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 व गैर अनुसूचित जिलों में 9149 पदों पर (कुल 17572 शिक्षक) नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई थी।