रांची। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है. इसे भारत के नेतृत्व में वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है. भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) को इस बाबत दिशा-निर्देश प्राप्त हुआ है. बीएयू के प्रबंध पर्षद कक्ष में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह की अध्यक्षता में मिलेट्स फसल से जुड़े विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय बैठक की गयी.
बैठक में मिलेट्स विशेषज्ञ डॉ अरुण कुमार द्वारा वर्ष 2023 के जनवरी से दिसंबर माह तक वार्षिक कार्य योजना विचार-विमर्श के लिए रखी गयी. बैठक में अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष में बीएयू के द्वारा आयोजित की जाने वाली कार्यक्रमों/गतिविधियों के संचालन पर विस्तार से चर्चा हुई. बैठक में मिलेट्स फसल के आच्छादन क्षेत्र में विस्तार हेतु सभी संभव प्रयासों पर जोर दिया गया.
मौके पर कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने विश्वविद्यालय अधीन सभी कॉलेज में जागरुकता अभियान चलाने एवं पोस्टर प्रदर्शनी लगाने का निर्देश दिया. उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यरत कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से जिले में जागरुकता अभियान, कौशल विकास एवं प्रत्यक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों के भोजन की आदतों में मिलेट्स शामिल थी, जो आज लगभग गायब हो चुकी है. इसे पहले गरीबों का कहते थे, जो अब अमीरों के भोजन की आदतों में तेजी से प्रचलित हो है.
कुलपति ने कहा कि मिलेट्स हमारी मुख्य आहार चावल एवं गेहूं का विकल्प नहीं हो सकता, लेकिन लोगों की पोषण सुरक्षा के लिए इसे हमारे भोजन की आदतों में शामिल करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि झारखंड के अनेकों जिलों में मड़ुआ (रागी) ओर गुन्दली की परंपरागत खेती होती है. पलामू में ज्वार की खेती प्रचलित है. बीएयू के वैज्ञानिकों ने मड़ुआ(रागी) की चार और गुन्दली की एक उन्नत प्रभेद और पैकेज प्रणाली विकसित की है. राज्य में मिलेट्स फसलों की खेती के आच्छादन को बढ़ाने और लोगों की भोजन की आदतों में मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए व्यापक कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है.
मौके पर जाने-माने मिल्लेट्स विशेषज्ञ एवं पूर्व अध्यक्ष (अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन) डॉ जेडए हैदर ने जलवायु परिवर्त्तन की दशा में मिल्लेट्स फसलों को बेहतर विकल्प साबित होने की बात कही. उन्होंने मिलेट्स उत्पाद के बेहतर पैकेजिंग और राज्य सरकार के मिड डे भोजन में शामिल कर बच्चों में कुपोषण दूर करने की सलाह दी. राज्य सरकार के सहयोग एवं बीएयू के तकनीकी मार्गदर्शन में मिल्लेट्स फसल को लोकप्रिय बढ़ाने पर जोर दिया.
बैठक में आरयू के कुलपति डॉ एके सिन्हा, डॉ एस कर्माकार, डॉ पीके सिंह, डॉ सोहन राम, डॉ मनिगोपा चक्रवर्ती, डॉ रेखा सिन्हा, डॉ मिलन चक्रवर्ती, डॉ शीला बारला, डॉ योगेन्द्र प्रसाद एवं डॉ सबिता एक्का आदि मौजूद थे.