गिरिडीह। झारखंड और परिवार के लिए दुखद खबर। एक प्रवासी मजदूर का शव उसके घर नहीं आ सका। उनका अंतिम संस्कार महाराष्ट्र के सतारा में करना पड़ा। यह मामला गिरिडीह जिले के सरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत मकामो निवासी आजाद मिर्धा का है।
आजाद मिर्धा दो महीने पूर्व रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र गया था। वहां दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था। गुरुवार को उसकी आकस्मिक मौत हो गयी। मौत के बाद परिजनों ने सरकार से मदद की गुहार लगायी थी। यहां परिवार इस आस में बैठा रहा कि प्रशासन शव को उन तक पहुंचाएगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। किसी ने भी सुध नहीं ली।
आजाद की पत्नी अंजू देवी अंतिम समय पति का चेहरे देखने का बाट ही जोहती रही। आखिरी में पता चला कि पैसे के आभाव में आजाद का शव नहीं लाया जा सकेगा। दुर्भाग्य यह कि मृतक का डेढ माह की मासूम बेटी अपने पिता का चेहरा भी नहीं देख पायी।
प्रवासी मजदूरों के हित में कार्य करनेवाले सिकन्दर अली ने परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन से भी कोई सहयोग नहीं मिला। इसके कारण आजाद मिर्धा का शव नहीं आ सका। उस मृतक परिवार पर क्या गुजरी होगी, यह समझने की जरूरत है।
सिकन्दर के मुताबिक मृतक अपने पीछे पत्नी अंजू देवी, बेटी उजाला कुमारी (8), पुत्र साई राजकुमार कुमार (16), पुत्र बादल कुमार (3) और मासूम डेढ माह की मासूम बेटी आशिका कुमारी को छोड़ गया। वह घर का एकलौता कमाऊ व्यक्ति था। आजाद की मौत के बाद परिवार के सामने बच्चों की परवरिश का संकट खड़ा हो गया है। तत्काल प्रशासन को मृतक परिवार को मदद करने की जरूरत है।