रांची। मैथिली भाषा के सम्मान के लिए अब राजनैतिक मंच बनाया जाएगा। अन्य भाषा के अनुरुप उसे सम्मान दिलाने के लिए जन जागरण अभियान चलाया जाएगा। लोकतांत्रिक आंदोलन तक किया जाएगा। उक्त बातें झारखंड प्रदेश मैथिली भाषा संघर्ष समिति के संयोजक अमरनाथ झा ने कही।
झा ने कहा कि 8 जनवरी, 2004 को मैथिली भाषा को भारत के अष्टम अनुसूची में शामिल होने की अधिसूचना केंद्र सरकार ने की थी। तभी से मैथिली भाषा-भाषी सभी जगह 8 जनवरी को मैथिली सम्मान दिवस के रूप में मनाते रहे हैं।
झारखंड गठन के बाद यहां जिला नियोजन नीति-2012 में बनी। जिलावार सभी भाषा को स्थान मिला, परंतु मैथिली का स्थान किसी जिला में नहीं मिला। समस्त मैथिली भाषी ने अपनी भाषा के संवर्धन के लिए संघर्ष चलाया। इसके कारण वर्ष, 2018 में मैथिली को द्वितीय राज्य भाषा का दर्जा मिला।
सयोजक ने बताया कि इसके बाद भी 2021 की नियोजन नीति से क्षेत्रीय भाषा की सूची में मैथिली को शामिल नहीं किया गया। पुनः राज्य के सभी मैथिली लोगों ने एकजुट होकर मैथिली भाषा संघर्ष समिति के बैनर तले जनगणना प्रारंभ किया।
इसी कड़ी में 7 जनवरी को बोकारो थर्मल से विजय शंकर झा एवं एके झा द्वारा करीब 200 सदस्यों का हस्ताक्षर प्रपत्र रांची प्रदेश कार्यालय आकर जमा किया गया।
जिला स्तरीय नियोजन नीति में मैथिली भाषा के शामिल नहीं होने से राज्य के मैथिली भाषी में भारी आक्रोश है।
मिथिली समाज 8 जनवरी को मैथिली भाषा को भी अन्य भाषा के अनुरूप स्थान दिलाने के लिए जन जागरण अभियान करेगा। सरकार पर दवाब बनाने के लिए लोकतांत्रिक आंदोलन करने का संकल्प लेगा।
सभी जिला स्तर पर मिथिला समाज का गठन किया जाएगा। राजनैतिक पृष्टभूमि तैयार कर सदन में आवाज उठाया जाएगा।