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Coal India : वेतन समझौते से कोयला कामगारों को लगा बड़ा झटका, ये है वजह

झारखंड मुख्य समाचार
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  • कोल इंडिया में ठेका प्रथा बढ़ने से मजबूत स्थित में है प्रबंधन

रांची। कोयला कामगारों का 11वां वेतन समझौता 3 जनवरी को कोलकाता में हुई जेबीसीसीआई की बैठक में हो गया। इसमें कोयला कामगारों को 19 फीसदी मिनिमम बे‍नीफीट गारंटी (एमजीबी) देने पर प्रबंधन और यूनियन के बीच सहमति बनी है। इसे मंजूरी के लिए कोयला मंत्रालय को अनुशंसा भेजी गई है।

कोयला कामगारों के लिए यह अच्‍छी बात है कि वेतन समझौते में अधिक देर नहीं हुई। 19 माह की देर से वेतन समझौता हो गया। हालांकि इस वेतन समझौते से कोयला कामगारों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, कोल इंडिया में पहली बार डाउन ट्रेंड में वेतन समझौता हुआ है। आने वाले दिनों में इस परंपरा की शुरुआत होने की आशंका है।

छठे वेतन समझौते में 12 प्रतिशत आईआर पहले दिया गया था। उसके ऊपर 181 रुपये देकर समझौता कर लिया गया। इसके बाद सीटू ने हड़ताल का आह्वान किया था। तीन दिनों की हड़ताल के बाद प्रबंधन ने तीन अतिरिक्‍त इंक्रीमेंट देने घोषणा की थी। इसमें तीन साल की सेवा पूरी करने वाले कामगारों को 1, पांच साल की सेवा वाले को 2 और सात साल की सेवा पूरा करने वाले कामगारों को 3 इक्रीमेंट मिला था।

सातवें वेतन समझौते में कुछ गिरावट दर्ज की गई थी। पहले कामगारों को 15 प्रतिशत आईआर दिया गया। उसपर 300 रुपए देकर समझौता कर लिया गया।

इसके बाद ट्रेड यूनियन हरकत में आई। आठवें वेतन समझौते में सुधार करते हुए 25 प्रतिशत एमजीबी पर वेतन समझौता हुआ।

9वे वेतन समझौते में 25 फीसदी एमजीबी के साथ 4 प्रतिशत विशेष भत्ता (स्‍पेशल अलाउंस) मिला था। यह दसवें वेतन समझौते में भी जारी रहा। 10वें वेतन समझौते में प्रबंधन ने पेंशन फंड में 7 फीसदी कंट्रीब्‍यूशन किया था। इसे भी प्रबंधन ने वेतन समझौते का हिस्‍सा बताया था। यूनियन भी इसे अपनी उपलब्धि बताती रही।

11वें समझौते में 19 फीसदी एमजीबी पर समझौता हुआ है। हालांकि 4 फीसदी स्‍पेशल अलाउंस के जारी रहने की संभावना है। इसके बाद भी पिछले वेतन समझौते की तुलना में कामगारों को घाटा हुआ है।

बताया जाता है कि प्रबंधन ने वेतन समझौते के मद में प्रत्‍येक कर्मचारी के लिए औसतन 7 हजार रुपये प्रति माह का प्रावधान करके रखी थी। इसके आधार पर ही वार्ता हो रही थी।

कामगारों का कहना है कि डाउन ट्रेंड में वेतन समझौता होना भविष्‍य के लिए अच्‍छा संदेश नहीं है। आने वाले दिनों में नियमित कामगारों की संख्‍या लगातार घटेगी। ठेका प्रथा बढ़ता जाएगा। ऐसे में प्रबंधन कम से कम एमजीबी में वेतन समझौता करना चाहेगी। वर्तमान की तरह आने वाले दिनों में कामगारों की संख्‍या कम होने पर यूनियन भी अपेक्षाकृत कमजोर रहेगा। उनका सारा फोकस ठेका श्रमिकों की तरफ रहेगा।

ये रहा ट्रेंड

वेतन समझौता               वृद्धि (रुपए/फीसदी)

जेबीसीसीआई 4               85 रुपए

जेबीसीसीआई 5               185 रुपए

जेबीसीसीआई 6               बेसिक+एफडीए 12 प्रतिशत आईआर+181+तीन इंक्रीमेंट

जेबीसीसीआई 7               बेसिक+एफडीए का 15 प्रतिशत आईआर+300

जेबीसीसीआई 8               25 प्रतिशत

जेबीसीसीआई 9               25+4 फीसदी

जेबीसीसीआई 10             20+4+7 फीसदी

जेबीसीसीआई 11             19 फीसदी