- पौष पूर्णिमा के अवसर पर उमड़ेगा भक्तों का जनसैलाब
योगेश कुमार पांडेय
जमुआ (गिरिडीह)। खरगडीहा स्थित लंगटा बाबा समाधि स्थल पर 6 जनवरी को चादरपोशी होगी। यह स्थल सांप्रदायिक सौहार्द और एकता का मिसाल है। यहां से हजारों लोग चादरपोशी के लिए पहुंचते हैं। इस अवसर पर लंगटा बाबा मेला का आयोजन होगा।
चमत्कारिक किस्से की चर्चा
बताया जाता है कि खरगडीहा प्रवास के दौरान बाबा तपोबल से पीड़ित मानवता की सेवा शिद्द्त से करते रहे। पशु पक्षियों से भी वे स्नेह करते थे। पूर्णतः नग्न अथवा शरीर पर एक कम्बल ओढ़कर रहने वाले बाबा के पास दूर-दूर से लोग उपहार लेकर आते थे। उपहार में शामिल खाने की वस्तुओं को बाबा पशु-पक्षियों को खिला देते थे। कभी-कभी पूरा उपहार ही समीप के कुएं में डलवाकर भक्त को ठंढी करो महाराज की नसीहत देते थे।
अंग्रेज अधिकारी भी मुरीद
हिन्दू के लिये सिद्ध योगी, तो मुसलमान के लिए लंगटा बाबा फकीर थे। अग्रेज अधिकारी भी बाबा के मुरीद थे। यही कारण है कि बाबा के समाधिस्थ होने के इतने साल बाद भी हिंदू और मुस्लिम समान रूप से बाबा की पूजा एवं इबादत करते हैं। वर्ष, 1910 के पौष पूर्णिमा को जब बाबा ने इस नश्वर देह का परित्याग कर महा समाधि में प्रवेश किया, तब पूरा इलाका शोकमग्न हो गया था। बाबा को हिंदूओं ने वैदिक रीति से अंतिम संस्कार किया तो मुस्लिम समुदाय ने भी अपने रिवाज के मुताबिक अंतिम विदाई दी।
इन राज्यों से भी आते हैं श्रद्धालु
पौष पूर्णिमा के दिन यहां झारखंड, बंगाल, बिहार, उड़िसा ओर यूपी के भी श्रद्धालु आते हैं। समाधि पर्व को शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न कराने के लिए प्रशासन के साथ बाबा सेवा समिति के सेवादार मुस्तेद रहते हैं। मान्यता के अनुसार समाधि पर्व के दिन बाबा की समाधि पर पहला चादर जमुआ थाना के थानेदार चढ़ाते हैं। इसके बाद ही आम भक्त चादरपोशी करते हैं।
समाधि स्थल पर मेला की तैयारी
लंगटा बाबा समाधि स्थल पर मेला की तैयारी जोरों पर हो रही है। चारों तरफ से साज सज्जा की जा रही है। मेले में मौत का कुआं, तारा माची से लेकर सभी झूले, खाने पीने की चीजें और खिलौने आदि सभी प्रकार के सामानों की दुकानें लग रही हैं।