- कृषि क्षेत्र में बिरसा किसान मार्गदर्शिका बहुउपयोगी साबित होगी : डॉ ओंकार नाथ सिंह
रांची। नये साल में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) ने कृषि सबंधी महत्वपूर्ण तकनीकी सूचना से युक्त ‘बिरसा किसान मार्गदर्शिका-2023’ को प्रकाशित किया है। इसे लगातार चौथे वर्ष ससमय प्रकाशित गया किया है। राज्य के कृषि जगत में यह मार्गदर्शिका वर्षों से लोकप्रिय है।
बिरसा किसान मार्गदर्शिका में झारखंड कृषि परिदृश्य, कृषि मौसम खेती परामर्श सेवा, शुष्क भूमि कृषि तकनीक, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, फसलों के लिए अनुशंसित पोषक तत्वों की मात्रा व उर्वरक की गणना, बीज उपचार ,बीज भंडारण, बीज बिक्री केंद्र, खरीफ, रबी एवं नकद फसलों उन्नत कृषि प्रणाली की जानकारी दी गई है।
इसके अलावा कीट व रोग प्रबंधन, कीटनाशी का प्रयोग, आकस्मिक फसल प्रणाली, मडुआ व सोयाबीन का मूल्यवर्धन, मशरुम उत्पादन और मधुमक्खी पालन, उन्नत कृषि यंत्र, बागवानी में सब्जियों, फलों, फूलों एवं मसाला फसलों की पैकेज प्रणाली, फलों व सब्जियों का प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन के बारे में बताया गया है।
मार्गदर्शिका में पशुपालन में गाय, भैंस, बकरी, सूकर,मुर्गी, बत्तख, बटेर व खरगोश आदि पशुओं का प्रबंधन, रोगी और स्वास्थ्य पशुओं की पहचान, पशुओं की बीमारी, रोकथाम एवं टीकाकरण, पशुओं के भोजन, दाना मिश्रण और दैनिक आहार, पशुओं के परजीवी रोग और मांस प्रौद्योगिकी, दुग्ध प्रौद्योगिकी, मत्स्यपालन, समन्वित मत्स्यपालन, मत्स्य बीज उत्पादन, रंगीन मछलियों का पालन एवं एक्वेरियम प्रबंधन की जानकारी है।
वानिकी में वनवर्धन के पौधशाला तकनीक, पौध व बीज रोपण एवं वृक्षों की तकनीकी, सामाजिक वानिकी के अधीन कृषि वानिकी प्रणाली, वन प्रबंधन, वन्य प्राणी प्रबंधन, वनोत्पाद, औषधीय एवं सुगंधित पौधों की पैकेज प्रणाली, जैव प्रौद्योगिकी में टिश्यू कल्चर्ड पौध सामग्री, राज्य के कृषि जलवायु के लिए उपयुक्त समन्वित कृषि प्रणाली एवं तकनीकें, किसान कॉल सेंटर, सामुदायिक रेडियो स्टेशन और कृषि विशेषज्ञ प्रणाली आदि विषयों को सरल हिंदी भाषा में बताया गया है।
विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय के एटीक केंद्र में यह उपलब्ध है। इसकी कीमत मात्र 155 रुपये है।
कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने इसे प्रदेश के लघु, सीमांत एवं बड़े किसानों, कृषि से जुड़े हितकारकों, प्रसार पदाधिकारियों व कार्यकत्ताओं, कृषि उद्यमियों एवं छात्रों के लिए बहु उपयोगी बताया है। इससे स्थानीय जरूरत एवं क्षेत्र विशेष आधारित उपयुक्त तकनीकी से किसानों की आय में बढ़ोतरी को बढ़ावा, राज्य कृषि को एक नई दिशा और राज्य कृषि परिदृश्य में सुधार व निरंतरता बनाये रखने में मददगार कहा है।