नई दिल्ली। किसी ने ठीक ही कहा है, इंसान जो बोता है, वही काटता है। यह बात पाकिस्तान पर बिल्कुल सटीक बैठती है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान की शहबाज सरकार के साथ हुए संघर्ष विराम से पीछे हट गया है.
अब आतंकी संगठन ने अपने लड़ाकों को हमला करने का आदेश दे दिया है. इसके बाद अब पाकिस्तान सरकार अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर रही है.
बता दें कि अफगान तालिबान की मध्यस्थता से इस साल जून में यह संघर्ष विराम संधि हुई थी, जिससे टीटीपी इस सप्ताह के प्रारंभ में पीछे हट गया. टीटीपी पाकिस्तान में शरिया कानून स्थापित करने के लिए संघर्षरत है.
एक आधिकारिक सूत्र ने मीडिया से कहा कि इस सप्ताह में टीटीपी द्वारा संघर्षविराम संधि से पीछे हटने को लेकर किए गए एलान तथा आतंकवादी हमले बढ़ जाने के मद्देनजर पाकिस्तान की रणनीति पर पुनर्विचार किया जाएगा.
सूत्र ने बताया कि संभावित नई रणनीति पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक बुलाई जा सकती है. अफगान तालिबान शासन की मध्यस्थता से दोनों पक्षों के बीच वार्ता हुई थी, क्योंकि तालिबान शासन टीटीपी और उसके सहयोगी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान की ओर पड़ रहे दबाव का विरोध कर रहा था.
सूत्रों ने हालांकि कहा है कि टीटीपी नेतृत्व में परिवर्तन और उसके फिर से सिर उठाने के बाद सरकार आतंकवाद से निपटने के लिए सभी विकल्पों पर अब चर्चा करेगी.
पर्यवेक्षकों का कहना है कि अपने करियर के दौरान सैन्य खुफिया शाखा (एमआई) और इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) दोनों की अगुवाई कर चुके नए सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर टीटीपी और अफगानिस्तान के विभिन्न पहलुओं को अच्छी तरह समझते हैं.
आईएसआई के महानिदेशक के तौर पर आसिम मुनीर ने अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच सीधी वार्ता का मार्ग सुगम करने के प्रारंभिक प्रयासों में प्रमुखता से हिस्सा लिया था. उनके बैकग्राउंड को देखते हुए ऐसी संभावना है कि वह टीटीपी और तालिबान के शासन के वाले अफगानिस्तान पर नीतिगत समीक्षा के विषय पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को अहम सुझाव दे सकते हैं.
खबर के अनुसार, विदेश राज्यमंत्री हीना रब्बानी खार ने मंगलवार को काबुल की एक दिवसीय यात्रा के दौरान अफगानिस्तान तालिबान के साथ टीटीपी के मुद्दे पर चर्चा की थी. हालांकि सरकारी बयान में सीमापार से आतंकवादी हमलों को लेकर पाकिस्तान की चिंता का कोई जिक्र नहीं था.
सूत्रों के अनुसार, ऐसा संभव है कि सरकार टीटीपी से सीधी वार्ता करने की अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर सकती है.