- उर्दू, बांग्ला, उड़िया के छात्रों का भी हिन्दी की परीक्षा लेने की मांग
रांची। झारखंड के सरकारी स्कूलों में अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन परीक्षा 9 जनवरी से होनी है। इसके लिए विषय निर्धारित कर दिए गये हैं। इसमें कई त्रुटि सामने आई है। इस ओर झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ ने झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक का ध्यान आकृष्ट कराया है। सुधार की मांग की है।
संघ के महासचिव अमीन अहमद ने सौंपे गये ज्ञापन में कहा है कि 9 से 11 जनवरी, 2023 तक वर्ग 1 से 7 तक के बच्चों की अर्द्धवार्षिक परीक्षा लिया जाना प्रस्तावित है। इसमें विषय निर्धारण में कई कमियां रह गई हैं।
संघ ने कहा कि परीक्षा के दूसरे दिन कक्षा 6 एवं 7 के लिए प्रथम पाली में हिन्दी, उर्दू, बांग्ला और उड़िया की परीक्षा एक ही साथ रखी गई है। उर्दू, बांग्ला और उड़िया पढ़ने वाले विद्यार्थी राष्ट्रभाषा हिन्दी की परीक्षा भी लिखते हैं। हालांकि हिन्दी, उर्दू, बांग्ला एवं उड़िया की परीक्षा एक ही पाली में रहने के कारण राष्ट्रभाषा की परीक्षा से विधार्थी वंचित रह जायेंगें।
महासचिव ने कहा कि जिस तरह हिन्दी पढ़ने वाले बच्चों के लिए अलग से संस्कृत की परीक्षा ली जा रही है, वैसे ही ओड़िया, बांग्ला एवं उर्दू पढ़ने वाले बच्चों के लिए राष्ट्रभाषा हिन्दी की परीक्षा भी ली जानी चाहिए।
इसी तरह प्रथम दिन द्वितीय पाली में कक्षा 6 एव्ं 7 के लिए सिर्फ संस्कृत विषय की परीक्षा रखी गई है। संस्कृत के साथ उर्दू, बांग्ला, उड़िया की परीक्षा एक ही तिथि में ली जानी चाहिए, क्योंकि हिन्दी भाषा सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य विषय है।
उर्दू विद्यालयों में दुर्वा पुस्तक हिन्दी विषय के लिए दी जाती है, परंतु प्रश्न भाषा मंजरी नामक हिन्दी पुस्तक से दी जाती है। उर्दू विद्यार्थियों के लिए दुर्वा पुस्तक से ही प्रश्न दिया जाना चाहिए।
ज्ञापन की प्रतिलिपि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव, प्राथमिक शिक्षा निदेशक एवं झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के प्रशासी पदाधिकारी को भी दी गई है।