- इंडियन सोसाइटी ऑफ ड्राईलैंड एग्रीकल्चर का अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन
रांची। फसलों पर एबायोटिक स्ट्रेस तनाव समूचे विश्व में फसलों की विफलता एवं पैदावार घटाने का कारण है. बढ़ती हुई खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए इस हानि को कमतर करना सभी देशों के लिए चिंता का विषय है. उक्त बातें कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने हैदराबाद में इंडियन सोसाइटी ऑफ ड्राईलैंड एग्रीकल्चर द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन (इकरा-2022) में कही. वे अधिवेशन में एबायोटिक स्ट्रेस सहिष्णुता के लिए जर्मप्लाज्म के महत्व पर मुख्य शोध पत्र प्रस्तुत कर रहे थे.
डॉ सिंह ने कहा कि झारखंड सहित पूरा देश फसल उत्पादन प्रणाली में अनेकों चुनौतियों का सामना कर रहा है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (रांची) उच्च उत्पादकता, लाभप्रदता, जलवायु अनुकूलता और विभिन्न फसलों की खेती की स्थिरता के लिए अत्यधिक उपज देने वाली किस्मों और कृषि प्रौद्योगिकी को विकसित करने और लोकप्रिय बनाने के लिए कार्य कर रहा है.
हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर विभिन्न फसल किस्मों और उनके प्रबंधन प्रथाओं को विकसित करने की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि मिली है. झारखंड की वर्षाश्रित भूमि की फसल प्रणाली में खरपतवार, रोग, कीड़े और ख़राब पोषण के अलावा सूखा एक बड़ी बाधा है. इसके लिए वर्षाश्रित भूमि के तहत फसलों की खेती तकनीक के प्रमुख घटक के रूप में अधिक अनुकूलित एवं तनाव के बेहतर प्रबंधन वाली किस्में विकसित करने की तत्काल जरूरत है.
इस दिशा में उच्च उपज वाली अनुकूल किस्मों का प्रजनन, सीधी बुवाई द्वारा स्थिर उत्पादकता के लिए प्रबंधन की रणनीति, वर्षा आधारित सुखाग्रस्त पारिस्थितिकी के लिए बायोटिक स्ट्रेस प्रबंधन रणनीति का विकास और राज्य के विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी के उपयुक्त कृषि प्रणाली विकसित करने पर पहल किये जा रहे है.
डॉ रंजय को बेस्ट पोस्टर पेपर अवार्ड मिला
अधिवेशन के समापन के अवसर पर रविवार को बीएयू के चतरा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान एवं वरीय वैज्ञानिक डॉ रंजय कुमार सिंह को बेस्ट पोस्टर पेपर अवार्ड से सम्मानित किया गया. डॉ रंजय ने अधिवेशन में चतरा जिले की बारानी स्थिति में रागी की किस्मों एवं बुवाई विधि का आकलन विषय पर शोध आधारित पोस्टर प्रस्तुत किया. उन्हें यह अवार्ड आयोजन सचिव डॉ केवी राव ने प्रदान किया.
मौके पर डायरेक्टर क्रीडा डॉ वीके सिंह, एसएसआरबी मेम्बर डॉ एस भास्कर और प्रधान (ड्राईलैंड एग्रीकल्चर परियोजना) डॉ रविन्द्र चारी भी मौजूद थे.
अधिवेशन का विषय वर्षा आधारित कृषि पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्कल्पना – चुनौतियां और अवसर था. क्रीडा, हैदराबाद में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन में 19 देशों के 700 से अधिक कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया.