रांची। द/नज इंस्टीट्यूट ने आज 400 परिवारों के अपने ‘एंड अल्ट्रा-पोवर्टी’ प्रोग्राम से स्नातक करने की घोषणा की। यह कार्यक्रम ‘दीदियों’ या अत्यधिक गरीब परिवारों की महिलाओं के साथ मिलकर काम करता है, लेकिन यह इन तक ही सीमित नहीं हैं। इस कार्यक्रम का मकसद उन्हें अपनी खाद्य सुरक्षा में सुधार करने, स्थायी आजीविका विकसित करने, सरकार से मिलने वाले अधिकारों तक पहुंच को सक्षम बनाने और उन्हें स्थानीय सामुदायिक संस्थानों में सामाजिक और आर्थिक रूप से शामिल करने में मदद करना है।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 400 महिलाओं को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा झारखंड सरकार गरीबों को ध्यान में रखते हुए व्यापक स्तर पर कई कार्यक्रम चला रही है। उसके पहुंच और प्रभाव में सुधार के तरीके खोजती रहती है। विशेष रूप से, राज्य में अत्यंत गरीब परिवारों में महिलाओं के समक्ष आने वाली चुनौतियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। प्राथमिकता के बावजूद, सरकार और बाज़ार दोनों को अति-गरीबों तक पहुंचना और उन्हें सेवाएं प्रदान करना कठिन लगता है। वे खाद्य के मामले में असुरक्षित हैं, सरकारी कार्यक्रमों और बाज़ार समाधानों तक पहुंचने में असमर्थ हैं, पर्याप्त उत्पादक संपत्तियों और ऋण तक पहुंच की कमी है और महत्वपूर्ण रूप से खुद को गरीबी से बाहर निकालने के लिए आवश्यक जीवन, साक्षरता और आजीविका कौशल की कमी है।
इस आवश्यकता को पूरा करने के उद्देश्य से द/नज इंस्टीट्यूट के ‘एंड अल्ट्रा-पोवर्टी’ प्रोग्राम का उद्देश्य बड़े पैमाने पर अति-गरीबों को लक्षित करने के लिए सरकार के प्रयासों में योगदान देना है। झारखंड में इस कार्यक्रम की शुरुआत 2018 में की गई थी। केपीएमजी, एलएंडटी इंफोटेक और द रॉकफेलर फाउंडेशन इस कार्यक्रम के प्रमुख भागीदार हैं, जो झारखंड और पूरे भारत में ‘दीदियों’ के जीवन में प्रभावशाली बदलाव लाने में द/नज को सक्षम बनाते हैं।
इस तरह के कार्यक्रमों की आवश्यकता और प्रभाव को समझते करते हुए, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) ने 3 साल के दौरान 4000 परिवारों को सहायता प्रदान करने के लिए डीएवाई-एनआरएलएम और द/नज इंस्टीट्यूट के सहयोग से यूपीएजे (अल्ट्रा-पुअर ग्रेजुएशन एप्रोच इन झारखंड) शुरू किया है। द/नज इंस्टीट्यूट, डीएवाई-एनआरएलएम, एमओआरडी के साथ सहयोग करता है और बड़े पैमाने पर कार्यक्रम को अपनाने में सहायता करता है।
द/नज ने 2019 में झारखंड के लोहरदगा, लातेहार और गुमला जिले में ‘ग्रैजुएशन एप्रोच’ का उपयोग करते हुए कार्यक्रम शुरू किया था। यह बांग्लादेश में बीआरएसी का एक अग्रणी मॉडल है, जो अत्यंत गरीब परिवारों की महिलाओं के लिए लचीली आजीविका बनाने के लिए गहन और निरंतर समर्थन की पेशकश पर केंद्रित है। कोविड महामारी की दो लहरों का अपनी बहादुरी और लचीली यात्रा का सामना करने के बाद आज ग्रैजुएशन करने वाली 400 दीदियां अति-गरीबी से बाहर निकल रही हैं।
द/नज इंस्टीट्यूट के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अतुल सतीजा ने कहा, ‘दीदियों के हमारे पहले बैच के स्नातक होने के साथ ही आज हमारी यात्रा का एक महत्वपूर्ण दिन है। हमें खुशी है कि इस मिशन में मदद करने के लिए हमें मजबूत साझेदार मिले हैं और हम और अधिक समर्थन जुटाने के तरीके तलाशना जारी रखेंगे। सबसे कमजोर परिवारों की महिलाओं की सेवा करने की झारखंड सरकार और डीएवाई-एनआरएलएम की प्राथमिकता का समर्थन करते हुए हमें खुशी हो रही है।’