ईरान। सैकड़ों लोगों की जान लेने के बाद अब 40 साल पुराना हिजाब कानून ईरान सरकार बदलने जा रही है।
दरअसल, ईरान में हिजाब के खिलाफ दो महीने से जारी आंदोलन में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। अब यहां की इस्लामिक सरकार लोगों की मांग के आगे घुटने टेकने को तैयार हो रही है।
एक रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार ने झुकने का मन बना लिया है। ईरानी सरकार ने दशकों पुराने इस कानून में बदलाव का विचार बना लिया है।
आपको बता दें कि अभी ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना जरूरी है। अगर वे ऐसा नहीं करती हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई होती है।
यहां बता दें कि 16 सितंबर को कुर्दिश ओरिजिन की 22 साल की महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। सिर से हिजाब खिसकने की वजह से पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर प्रताड़ित किया था। हालांकि ईरान प्रशासन लगातार सफाई दे रहा है और कह रहा है कि महसा की मौत एक हादसा था। ईरान में शरिया पर आधारित हिजाब का कानून लगाया गया है।
अमीनी की मौत के बाद शुरू हुआ यह जबरदस्त आंदोलन ईरान ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों तक भी पहुंच गया। ईरान ने इसे अमेरिका और ब्रिटेन की साजिश बता दिया था। महिलाओं ने अपने हिजाब उतारकर सार्वजनिक रूप से जला दिए।
इस बीच कई जगहों पर पुलिस ने कार्रवाई भी की औऱ बहुत सारे लोगों की जान च ली गई। ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंताजेरी ने कहा, संसद औऱ न्यायपालिका दोनों ही इस मामले का हल निकालने के लिए कार्य कर रही हैं।
हालांकि, अटॉर्नी जनरल ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस कानून में क्या बदलाव करने पर विचार किया जा रहा है। बुधवार को संसद के संस्कृति आयोग की बैठक हुई थी। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि एक या दो सप्ताह में फैसलों के बारे में पता चल जाएगा। शनिवार को राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा कि संविधान को लागून करने के कुछ तरीके हैं जिससे की इसमें लचीलापन रहे।
यहां यह भी बता दें कि अप्रैल 1983 से ही ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना जरूरी है। अमेरिका आधारित राजशाही को उखाड़ने केबाद जब से ईरन में इस्लामिक क्रांति हुई है उसके बाद से ही हिजाब को जरूरी बना दिया गया। यह तब से ही एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। एक तरफ कंजरवेटिव हैं जो कि इसको अनिवार्य बनाने के पक्ष में रहे हैं औऱ दूसरी तरफ रिफॉर्मिस्ट्स हैं जो कि इसके खिलाफ रहे हैं।
ईरान इस्लामिक रिवोलूशनरी गार्ड कॉर्स के एक जनरल ने कहा है कि महसा अमीनी की मौत के बात आंदोलन के चलते करीब 300 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं कुछ मानवाधिकार संगठनों का दावा हैकि 448 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। यूएन राइट्स चीफ का कहना है कि ईरान में बच्चों और महिलाओँ समेत 14 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया है।