बिशुनपुर (गुमला)। गुमला के विशुनपुर स्थित कोको टोली पहाड़ टांड़ में सोहराई जतरा का आयोजन 9 नवंबर को किया गया। मुख्य अतिथि जेएमएम के प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री थे। विशिष्ट अतिथि युवा सोशल एक्टिवेस्ट अनिल पन्ना, पहड़ा बेल सतीश उरांव, पहड़ा दीवान रोशन उरांव, बनारी मुखिया बसनु उरांव, पड़हा बेल जयराम उरांव, भौवा उरांव, जनार्दन टाना भगत, भूषण टाना भगत, प्रभाकर कुजूर आदि थे।
जतरा का मुख्य आकर्षण खोड़हा नाच रहा। करीब 112 खोड़हा के ग्रामीण हजारों की संख्या में परंपरागत भेष-भूषा में खोड़हा से मांदर-नगाड़े के साथ नाचते-गाते शामिल हुए।
अनिल पन्ना ने कहा कि सोहराई जतरा झारखंड की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत है। इसे बचाए रखने की आवश्यकता है। सोहराई जतरा सांस्कृतिक एकता और आपसी भाईचारा का एक माध्यम है। आदिवासियों की पहचान जल, जंगल, जमीन, रीति रिवाज, भाषा, संस्कृति और परंपरा से है।
पन्ना ने कहा कि यह क्षेत्र नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अंतर्गत आता है। मुख्यमंत्री ने फायरिंग रेंज की अवधि विस्तार नहीं देकर यहां के आदिवासी-मूलवासी को बचाने का काम किया है। हमें अपने पुरखों पर गर्व करना चाहिए, जिन्होंने जनजाति समाज को एक सूत्र में बांधने के लिए अनेक सामाजिक उपाय किए।
डॉ तनुज खत्री ने कहा कि सोहराई जतरा झारखंड की पहचान है। यही झारखंड की विशेषता है। इसी पहचान को मूर्त रूप देने के लिये मुख्यमंत्री ने 1932 के ख़ातियान को कैबिनेट से पास कराने का काम किया। आगामी 11 नवंबर, 2022 को विधानसभा से भी झारखंडियों के हित मे पास कराने का काम किया जाएगा
जतरा समिति द्वारा सभी खोड़हा टीमों को सम्मानित किया गया। आयोजन को सफल बनाने में शेखर उरांव, सुनित उरांव, संतोष कुम्हार, रोबर्ट कुजूर, एडविन कुजूर, बोलोमीना उरांव, प्रभा मांझी, अर्जेन उरांव, जसिंता उरांव, सुमरीता उरांव, तेतरु पहान आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा। मंच संचालन करमचंद उरांव ने किया।
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