- बीएयू में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के ऑफलाइन मोड का समापन
रांची। टिकाऊ कृषि एवं संबद्ध विज्ञान के लिए वैश्विक शोध पहल विषय पर मेरठ के आस्था फाउंडेशन द्वारा बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के ऑफलाइन मोड का मंगलवार को समापन हो गया। कृषि, पशु चिकित्सा, वानिकी, मत्स्यपालन, पर्यावरण एवं जैव विविधता आदि विषयों पर 11 सत्र आयोजित किए गए।
सम्मेलन में ओरल और पोस्टर प्रेजेंटेशन के माध्यम से जीरो टिलेज कृषि, प्रक्षेत्र यंत्रीकरण, मात्स्यिकी, गृह विज्ञान, उत्पादों का सेल्फ लाइफ संवर्धन, पशु विज्ञान के क्षेत्र में नवीनतम प्रवृत्तियों पर चर्चा हुई।
मुख्य आयोजन सचिव डॉ रबीन्द्र कुमार ने बताया कि सम्मेलन में पशुओं की देशी नस्लों के सुधार एवं संवर्धन, रोगों की नवीनतम जांच तकनीकों के प्रयोग और अफ्रीकन स्वाइन फीवर एवं लंपी स्किन रोग के नियंत्रण के लिए वैक्सीन विकसित करने पर जोर दिया। बकरी के पीपीआर रोग, स्वाइन फीवर और पशुधन के फूट एंड माउथ डिजीज की रोकथाम के लिए मास वैक्सीनेशन की जरूरत बताई गयी।

झारखंड की पशु प्रजनन नीति 2011 की समीक्षा करते हुए उसमें नवीनतम फीडिंग, ब्रीडिंग, स्वास्थ्य और प्रबंधन तकनीकों संबंधी प्रावधान जोड़ने की आवश्यकता बताई। साथ ही, अलग-अलग कृषि मौसम जोन के लिए अलग-अलग पशु प्रजनन नीति तैयार करने पर जोर दिया गया।
नेपाल के मात्स्यिकी विशेषज्ञ डॉ दिलीप कुमार झा, बांग्लादेश कृषि विश्वविद्यालय (ढाका) के पूर्व निदेशक डॉ बीके चक्रवर्ती, बायोसीड रिसर्च इंडिया (हैदराबाद) के अनुसंधान निदेशक डॉ बृजेंद्र पाल और नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय (पलामू) के कुलपति डॉ राम लखन सिंह ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की उभरती चुनौतियों पर की नोट एड्रेस प्रस्तुत किया।
सम्मेलन में गुजरात, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब, कश्मीर, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान आदि राज्यों के लगभग डेढ़ सौ वैज्ञानिकों ने ऑफलाइन मोड में और करीब एक हजार विशेषज्ञों ने ऑनलाइन मोड में भाग लिया। ऑनलाइन मोड में सम्मेलन बुधवार को भी जारी रहेगा।