मोरबी हादसे में मरने वालों की संख्या 143 पहुंची, पीएम मोदी ने रद्द किए कई कार्यक्रम, जानें आगे

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गुजरात। रविवार को गुजरात के मोरबी में केबल ब्रिज हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। सोमवार सुबह सात बजे तक मृतकों की तादाद 143 तक पहुंच गई है।

मच्छु नदी में बचाव कार्य को तेज करने के लिए सेना की मदद ली जा रही है। इस काम में एसडीआरएफ के साथ एनडीआरएफ की टीमें भी लगी हुई हैं।

वहीं दूसरे राज्य में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और गृह मंत्री हर्ष संघवी देर रात तक घटनास्थल पर मौजूद रहे। दु:खद बात यह है कि बचाव कार्य के दौरान डेडबॉडी मिलने का सिलसिला जारी है।

आशंका जताई जा रही है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है। सोमवार को दोपहर तक रेस्क्यू का काम पूरा होने का अनुमान है।

बचाव के काम में केंद्रीय एजेंसियों के साथ फायर ब्रिगेड, कोस्ट गार्ड, गरुड़ कमांडो और नेवी की मदद ली जा रही है। हादसे में मरने वालों में ज्यादातर मोरबी और आसपास के निवासी हैं।

गुजरात के तीन दिन के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोरबी जा सकते हैं। पीएम के कई कार्यक्रमों को रद्द किया गया है। पीएम मोदी इस हादसे को लेकर लगातार मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल में संपर्क में हैं।

वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने अपने तमाम कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। एक नवंबर को गांधीनगर में होने वाले पेज समिति प्रमुखों के दिवाली मिलन समारोह को रद्द कर दिया गया है। कांग्रेस ने भी 31 अक्तूबर से शुरू हो रही प्रदेश व्यापी परिवर्तन संकल्प यात्रा को स्थगित कर दिया है, हालांकि यात्रा के लिए गुजरात पहुंच रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का मोरबी जाने का कार्यक्रम है।

सरकार ने मोरबी के दर्दनाक हादसे की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया है। इस पांच सदस्यीय दल में आर एंड बी के सचिव संदीप वसावा, आईएएस राजकुमार बेनीवाल, आईपीएस सुभाष त्रिवेदी, चीफ इंजीनियर के एम पटेल के साथ डॉ. गोपाल टांक को रखा गया है।

यह विशेष जांच टीम हादसे के कारणों का पता लगाएगी। मोरबी के इतिहास में 43 साल बाद यह दूसरा बड़ा हादसा है। 11 अगस्त को 1979 में मच्छू नदी का डैम टूटने पर 1,800-25,000 लोगों की मौत हुई थी।

मोरबी हादसे को लेकर दोषियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इसमें आईपीसी की 304, 308, 114 लगाई गई हैं। गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी।

मोरबी के इस ऐतिहासिक पुल को हाल ही में ओरेवा नाम की कंपनी ने लिया था। टेंडर की शर्तों के अनुसार कंपनी को अगले 15 सालों तक इस पुल का रख-रखाव करना था। कंपनी ने सात महीने की मरम्मत के बाद 26 अक्टूबर को इसे लोगों के लिए खोला था। लेकिन इसके पांच दिन बाद ही 30 अक्तूबर की शाम साढ़े छह से सात बजे के बीच पुल हादसे का शिकार हो गया।