
रांची। झारखंड के विभिन्न जिलों के राजकीयकृत प्राथमिक और मध्य विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को दुर्गा पूजा से पहले वेतन भुगतान का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने उनके वेतन के लिए 18 अरब रुपये दिए हैं। यह जानकारी प्राथमिक शिक्षा निदेशक चंद्रशेखर ने सभी उपायुक्त और जिला शिक्षा अधीक्षक को 19 सितंबर को दी है। वेतन भुगतान को लेकर जारी आदेश में कई तरह की शर्ते लगाई गई है।
आदेश में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए शिक्षकों के वेतन मद में 28 अरब 90 करोड़ 19 लाख 79 हजार 600 रुपये का आवंटन किया गया है। इसमें जिलावार विवरण भी दिया गया है। पैसा जारी कर दिए जाने से शिक्षकों को दुर्गा पूजा से पहले वेतन मिल जाने की उम्मीद है।
ये है शर्तें
आदेश में कहा गया है कि यह लगातार पाया गया है कि विभिन्न जिलों में अनुमान्यता से अधिक वेतन और भत्ते (मकान किराया भत्ता आदि) का भुगतान किया जाता है। कालांतर में उसकी वसूली का प्रयास किया जाता है, जिससे न्यायिक वाद उत्पन्न होते हैं। अनुमान्यता से अधिक भुगतान की गई राशि की पूर्ण वसूली संबंधित निकासी और व्ययन पदाधिकारी/जिला शिक्षा अधीक्षक से की जाएगी।
अंतिम वेतन प्रमाण पत्र पर अंकित अग्रिम का सामंजन करेंगे। अनापत्ति प्रमाण पत्र वेतन प्रमाण पत्र संतुष्ट होने के बाद निर्गत करेंगे।
विभाग अंतर्गत संचालित योजनाओं के लिए उपलब्ध कराई गई असामंजित अग्रिम राशि की वसूली नियमित वेतन से की जाए। सेवानिवृति लाभ से उक्त राशि की कटौती में आ रही कठिनाईयों के आलोक में अग्रिम की वसूली प्राथमिकता के आधार पर की जाए।
सरकार द्वारा आवास अग्रिम/मोटर कार अग्रिम/किसी अन्य प्रकार का अग्रिम इत्यादि दिया गया हो या अंतिम वेतन प्रमाण-पत्र पर अंकित हो, उसकी वसूली की लागू परिपत्र/नियमों के आलोक में की जाय। वित्त नियमावली का पालन किया जाय।
सरकारी आवास में रहने वालों से भवन निर्माण विभाग के परिपत्रों के अनुरूप लाइसेंस फी की कटौती कर जमा की जाए।
बकाया वेतन भुगतान पर भी कर्मी के वर्तमान में नियमित वेतन पर निर्धारित दर के अनुरूप ही आयकर की कटौती की जाय।
रोकड़ पंजी का नियमित रूप से अद्यतनीकरण किया जायेगा।
सेवानिवृत्त लाभों का सक्षम स्तर से स्वीकृति के उपरांत प्राथमिकता के आधार पर निष्पादन किया जाय।
योजना एवं वित्त विभाग द्वारा 7वां वेतन पुनरीक्षण आयोग के क्रम में अधिसूचित विभिन्न भत्तों के संदर्भ में समय-समय पर निर्गत अद्यतन परिपत्रों का अनुपालन किया जाय।
आयकर कटौती में लापरवाही के फलस्वरूप किसी प्रकार के दंड अधिरोपों के विरुद्ध निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेवार होंगे।
महालेखाकार एवं वित्त विभाग के अंकेक्षण आपत्तियों का ससमय अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।