रांची। नई दिल्ली स्थित आईसीएआर के अधीन कार्यरत भारतीय तिलहन अनुसंधान निदेशालय (आईआईओआर), हैदराबाद ने तीसी फसल पर उत्कृष्ट अनुसंधान कार्य और उपलब्धियों के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के आनुवंशिक एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष एवं मुख्य वैज्ञानिक डॉ सोहन राम को सम्मानित किया है।
डॉ राम को यह सम्मान डॉ पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला (महाराष्ट्र) में आयोजित तीसी व कुसुम फसल कार्य समूह की वार्षिक बैठक के समापन पर शनिवार को मिला। उन्हें इस आशय का प्रशंसा पत्र संयुक्त रूप से एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट रिक्रूटमेंट बोर्ड (एएसआरबी), नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष डॉ सीडी माय एवं डॉ पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ के कुलपति डॉ भीएम भाले ने प्रदान किया।
डॉ राम को यह प्रशंसा पत्र अखिल भारतीय तिलहन (तीसी) अनुसंधान परियोजना के तहत तीसी फसल अनुसंधान के क्षेत्र में मेधावी सेवा, प्रतिबद्धता एवं नेतृत्व गुणों और तीसी (अलसी) ब्रीडर किस्म का विकास, ब्रीडर बीज उत्पादन एवं तीसी जर्म प्लाज्म प्रबंधन में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया प्रदान गया। उनके योगदान की अत्यधिक सराहना की गयी। मौके पर आईआईओआर निदेशक डॉ एम सुजाता सहित देश में तीसी शोध परियोजना से जुड़े 150 से वैज्ञानिक भी मौजूद थे।
बताते चले कि डॉ राम बीएयू के आनुवंशिक एवं पौधा प्रजनन विभाग में संचालित आईसीएआर – अखिल भारतीय तिलहन (तीसी) अनुसंधान परियोजना, रांची केंद्र के वर्ष 2003 से परियोजना अन्वेंषक है। उन्होंने झारखंड के कृषि पारिस्थितिकी के उपयुक्त तीसी फसल के तीन उन्नत किस्मों यथा प्रीयम (बीएयू-2012-1), दिव्या (बीएयू-06-3) एवं बिरसा तीसी – 1 (बीएयू-15-03) को विकसित किया है। उपयुक्त किस्में झारखंड स्टेट वेरायटल रिलीज कमेटी एवं सेंट्रल वेरायटल रिलीज कमेटी से अनुशंसित एवं अनुमोदित है।
प्रीयम (बीएयू-2012-1), दिव्या (बीएयू-06-3) किस्म को उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब एवं हरियाणा के उपयुक्त पाया गया है। हाल में विकसित नई किस्म बिरसा तीसी-2 को स्टेट वेरायटल रिलीज कमेटी से अनुशंसा मिल चुकी है। इसे नोटिफिकेशन के लिए बीएयू ने सेंट्रल वेरायटल रिलीज कमेटी को प्रतिवेदित किया गया है। इनके द्वारा विगत तीन वर्षों से देश-विदेश के तीन हजार से तीसी जर्म प्लाज्म का सफल संरक्षण एवं प्रबंधन किया जा रहा है।
रांची केंद्र से प्रतिवर्ष औसतन 2 क्विंटल ब्रीडर का उत्पादन होता है, जिसे फाउंडेशन सीड उत्पादन के लिए एनएससी, केन्द्रीय एजेंसी एवं केवीके को भेजा जाता है। टीएसपी अधीन राज्य के आदिवासी किसानों के करीब 100 एकड़ भूमि में हर वर्ष अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण कराया जाता है।
बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने इनके उल्लेखनीय योगदान को विवि के वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणादायक बताया। प्रशंसा मिलने पर खुशी जाहिर की है।