- ऑल इंडिया इमाम काउंसिल समेत 8 और संगठनों पर भी गिरी गाज
नई दिल्ली। केंद्र मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) सहित उसके सहयोगियों और तमाम मोर्चों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। सभी को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। इनपर 5 साल का बैन लगाया है। त्वरित कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने इसे आधिकारिक गजट में भी प्रकाशित कर दिया।
उनके सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन (केरल) पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
जानकारी हो कि एनआईए और अन्य एजेंसियों इन संगठनों के खिलाफ देशभर में छापेमारी की थी। इस क्रम में 6 राज्यों में पीएफआई के विभिन्न संगठनों पर एक साथ कार्रवाई की गई थी। उससे जुड़े 100 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर पूछताछ किया जा रहा था।
पीएफआई को बैन करने की मांग काफी पहले से उठ रही थी। इसके देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने और आतंकी संगठनों से जुड़े होने के संकेत मिलते रहे थे। इसके बाद इसे बैन करने तैयारी शुरू हो गई थी। लगातार जारी कार्रवाई के बाद गृह मंत्रालय ने बैन करने का आदेश जारी कर दिया।
पीएफआई की स्थापना केरल में वर्ष, 2006 में की गई थी। वह भारत में हाशिये पर पड़े वर्गों के सशक्तिकरण के लिए नव सामाजिक आंदोलन चलाने का दावा करता है। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि पीएफआई कट्टर इस्लाम का प्रचार कर रहा है। इस संगठन का मुख्यालय दिल्ली में है।
पीएफआई के खिलाफ पांच दिन पहले कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, असम और मध्य प्रदेश की राज्य पुलिस ने छापेमारी की। NIA की अगुआई में विभिन्न एजेंसियों ने 22 सितंबर को देश में आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में पीएफआई के खिलाफ 15 राज्यों में एक साथ छापेमारी की थी। उसके 106 नेता और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था। पीएफआई से जुड़े 19 मामलों की जांच एनआईए कर रहा है।
संबंधित राज्यों की पुलिस ने अपने-अपने इलाकों में 27 सितंबर को भी छापेमारी की। इस दौरान असम में 25, महाराष्ट्र में 4 और दिल्ली में 30 लोगों को हिरासत में लिया गया। मध्यप्रदेश में 21, गुजरात में 10 और कर्नाटक में भी कई लोगों को हिरासत में लिया गया।